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________________ ज જૈન યુગ ता. १-9 34 संस्थाओं में द्रव्य व्यय करना। प्रस्तावका अमल करन-कराने योगेन्द्र चूडामणी युगप्रधान श्री विजय शानिरिजी म. ने के लिए २१ बंधुओंको कमिटी नियत की गई (५) तीर्थ और सेंकडी भाई-व्हेंनो को सोगन मंदिराका जिर्णोद्धार (६) बाललन निषेध कर बालक १८ और दिलाए आपश्रीनं लगभग एक घण्टं तक हृदयद्रावक बालिका १४ वर्ष को उम्र न हासिल करले तब तक शादो भाषामें कन्या विकय त्यागका उपवेश दिया । जनता मुग्ध हो की स्कावट की जाय इस सम्बन्धमे जोधपूर, शिरोही, आदि गई। इस पापी पृथाको त्याग करने के लिए सेंकडो पंधुओं राजपूताने के राज्यों में कानून बनाने के लिए योग्य कार्यवाही और व्हनीनं सोगन लिए। उसी प्रकार 'बाललम' निषेध के करने को अ. भा. जन सं. कॉन्फरन्म को विनंति (७) जगत लिए आपका तथा उपाध्याय की म. श्री ललित विजयजी म. शेठ जन समाज के स्वीकृत - अग्रगण्य नेता है और इनका सदुपदेशसे सेंकडो स्त्री-पुरुषों को सांगन लेने के लिए प्रेरित किया गवर्मेन्ट के साथका सम्बन्ध इतिहास परसे स्पष्ट है । इस और उन्होंने लिए। यह उपकार कम नहीं हुआ। संबन्धको कायम रखने के लिए जगतशंट की गयमन्ट से जी। कॉन्फरन्सको सफलता के लिए ऑनरेबल एजन्ट टू धी उचित मागणीय है उस पर गवर्मेन्ट गौर कर परापूर्वसे चल गवर्नर जनरल राजपूताना (माउंट आबू); श्रीमान् मेक नामआते संबन्धको विशेष सुदृढ़ करे इस के वास्ते यह कॉन्फरन्स दार ठाकुर साहब लिबडी; मिस एलिझाबेथ शार्प; अ. भा. भारत सरकार से नम्र विनंति करती है (८) ऐक्यता-तडे जैन श्वे. कॉन्फरन्स, बम्बई शेठ शांतिदास आशकरण जे. पी3; धील के कारण धार्मिक काम बाधा आती है। एक संस्था राव साहेब रवजी साजपाल, श्री पूर्णचंद्रजी नहार, शंठ मोहदूसरी संस्थाको प्रति स्पद्धा करता है इससे संस्थाओंको प्रगति में नलाल हेमचंद, रणछोडभाई रायचंद, लल्लुभाई दीपचंद अवरी, बाधा आती है। अतः ऐक्यताका पाया मजबूत बनानेके लिए अमरतलाल कालीदास आदि अनेक संदेश तार और पत्र द्वारा अनुरोध कर २१ बन्धुओंको कमिटीको प्रस्तावका परिपालन मिले थे। पूज्य जनाचार्य श्री विजयवल्लभ सूरीजोका बम्बई से कराने के लिए : ता दी गई (९) शिक्षा प्रचार के लिए बाला आया हुआ तार और पत्र जब पढ़ा गया तब जनता पर श्रम, विद्यालय, पाठशाला ख ल स्कॉलरशिप के साधन करना उसकी गहरी छाप पडी। मारवाहमें श्रीमद्विजयशांति सूरिजी के प्रयाससे बामण पाडा युवको भी अपने उत्थानार्थ योग्य विचारणा करने के गुरुकुल, श्रीजियवाभ सूरिजी और धी उ. ललित विजयजी लिए सम्मिलित हो श्री जवाहरलालजी लोढा, अधिपति श्वेताचर म. के. प्रयत्नसे वरकाणा पार्श्वनाथ विद्य लय पाश्र्थनाथ उम्मंद १५ जैन' आगरा की अध्यक्षतामें योग्य आंदोलन किया । जैन बालाधन उम्मदपूर आदिको स्थापना के लिए उन महा प्रतिष्ठा महोत्सव, अंजनशलाका आदिका कार्य सानन्द त्माओंकी अमिनंदन दे समाजका दान प्रवाह शिक्षा संस्थाओं समाप्त हुआ। इन दिनोमें वैशाख सुद १. सं. १९९२ की ओर बहानकी विनंति । (१) जीवदया। (११) कन्या (मारवाडी) के रोज श्री संघने अत्यंत आदर के साथ प्राचार्य विक्रय और वर विक्रय बंध करने का अनुरोध, ११ सजनाको सम्राट श्री विजयशांति सूरीजी म. को “योगेन्द्र चूडामणी युग कमिटीको सत्ता, यदि आवश्यक्ता हो जोधपूर और राजपुताना प्रधान" और पंन्यासजी म. श्री ललित विजयजी म. को के देशी राज्यों में इसके प्रतिबन्ध के लिए कानून बन नेका अ. पाध्याय" की पदवी से विभूषित किये । ता०२०-५-३५ भा. जन , कॉन्फरन्स द्वारा प्रयत्न किया जाय । (१२) को यु. श्री विजयशांति सूरीजी महाराज, ठाकुर साहब वीसहानिकारक रिवाज बध (१३-१४) मृत्यु भोजन फैशन त्याग लर, जगत शंट फतेहचंदजी सा. श्री गुल बचंदजी ढहा, एम. (१५) जन त्योहार गपम ट और देशी राज्योंमें पलाने के ए; जनरल संकटरी; धी भभूतभलजो देवीचंदजी स्वागताध्यक्ष%B लिए अनुरोध (१६) मारवाडमें बरकाणा पार्श्वनाथ जैन विद्या धो निम्मल कुमारसिंहजी सा. नवलखा प्रमुख अ. भा. जैन लय की हाईस्कूल बनाने के लिए जोधपूर गवर्मेन्टका अनुरोध कॉन्फरन्स: श्री ताजबहादुर सिंहजो धौपाल बहादुर सिंहजी, (१७) आत्मानन्द जन्म शताब्दि के संबन्ध में "श्री आत्मानंद चेनकरणजी गोलेच्छा को मानपत्र अर्पण किये गये। वीसलपूर जन्म शताब्दि समिति" की बम्बई में जनाचार्य धीमद्विजय ठाकुर सा. को रु. ७०२) को पर्स नजर को गई। वालभसूरिजी के उपदंश से स्थापना की गई है उसे पुष्टि (१८) मारवाढ प्रांतिक स्थाई समितिको स्थापना के संबन्ध में (१९) श्री जैन श्वेतांम२ मेन्युशन मा. जन इवे. तीर्थ देलवाडा पर पढी की तरफ से द्विभाषाया शाणामान भ६. (Guide) रखनके लिए (२०) बामणवाड जी में जैन म्युजियम આ સંસ્થાને ચાલુ વર્ષમાં પાકશાળાઓને મદદ આપવા रखा गया है उसमें मूर्तियां भिजाने के लिए (२१) श्री महा- भाटMAY सस्था तथा भोली २५ ते 'भा वीर प्रभु का जीवन चरित्र (२२) प्रचारकार्य और धन्यवाद पापरवानीपान वेताम (भूतिyrs) पाहाणामाने. के प्रस्ताव । મદદની જરૂર હોય તેઓએ બેડના છાપેલા ફેમ' પર ता. २५-1-3५ सुधामा १२७ १२वी. याममा ०.०६नी उपस्थित जनता में कॉन्फरन्स के अधिवेशन कार्य में राट मोवी. खूब उत्साह के साथ भाग लिया था। ता. ११ में ३५ को श्री. पे. मेry | सामान्य माया 'कन्याविक्रय' के प्रस्ताव पर श्री. गुलाबचंदजी ढहा, श्री. . शना स्ताव पर था. गुलाबपदमा १४६शराई બબલચંદ કેશવલાલ મોદી २, समरथमलजी सिंधी आदि के जोरदार भाषणों के पश्चात भुण, २. ) ઓનરરી સેકટરીઓ.
SR No.536275
Book TitleJain Yug 1935
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamnadas Amarchand Gandhi
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1935
Total Pages88
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Yug, & India
File Size21 MB
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