SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ જૈન યુગ ता. १-२-३५ प्रचारकार्य रिपोर्ट. श्री पल्लीवाल जैन कान्फ्रेन्म. श्री जैग श्वत्तांवर कॉन्फरन्सना एक उपदेशक श्री इश्वरलाल जैन जेओने पालीवाल कॉन्फरन्सनी मागणीथी खास भरतपुर विभागमा प्रचारार्थ रोकवामां आव्या छ तमना तरफयी थयल प्रचारकार्थनो रिपोर्ट आ भींचे प्रकट करवानां आवे छे. ता.२१-१२-३४ की पल्लीवाल कान्फेन्सका कार्य प्रारम्भ भाइयोंकों एकटा कर भाषण दिया, समाजका उद्धार, जातिमुधार किया, ३-४ दिन कार्यालय में रहा! कुरीति निवारण और विषयोंकी समझाया । यहाँ एक ताम्बर ता. २५-१२-३४ को भरतपुरसे खाना होकर रातको मन्दिर है मूर्तियांभी पोल है व्यवस्थाभी अच्छी है, यहां शंठ खेरली पहुंचा। जवाहरलालजी व मिहनलालजी का पहिले दौराहो चुका है और प्रधान मन्त्री मास्तर कस्तूरचंदजी बडी लपानी काम करते हैं: ता. २६-१२-३४ को खेरली ही रहा, यहां पर पड़ीवालोंका और बड़े उत्साही कार्यकर्ता हैं। यहांपर बोर्डिग हाउस कन्न्म की कोई माघर नहीं, परन्तु कुछ पालीवालभाई अपने व्यापारके लिये खेरली रहते हैं, यहां पल्लीवाल कान्फ्रेन्सकी ब्रांचभी है, और यहां ओरसे खुला हुआ है कार्य ठीक चल रहा है। बोर्डिंग हाउसकी अपनी बिल्डिंग बन रही है, लगभग ५००) रु. लग चुके हैं। कान्फ्रेन्सके उपसभापति भौंरीलालजीसे बातचीत कर आगेके गांवों मुदुम शुमारी व फार्म पहिले भरे जा चुके हैं। तम्बर का प्रोग्राम बनाया। जन भी आता है। ___ ता. १५-१२-३४ को खेरलीमे ४ माइल दूरी पर अलीपुर ता. ६-1-5 की सायं पहुंचे मास्तर कस्तूरचन्दजी भी गये। वहां पर रातको सब पडीवाल भाइयोंको एकत्रित किया, और जातिसुधार तथा मन्दिरकी व्यवस्था ठीक रखने आदि पर साथ थे, यहां पत्रीवालों एक धनम्बर मन्दिर है ! पूजन नित्य होता है, परन्तु मूर्तियों पर मल अधिक जमा हुआ है, जिस के लिये भाषण दिया, जिसका अच्छा प्रभाव पड़ा, सब भाइयोंने नित्यप्रति समझाया गया। रात को सभा करके भाषण दिया गया, यहाँ मंदिरजी में दर्शन करनेको स्वीकार किया। यहां पढ़ीवाल तम्बर जैनोंका एक मन्दिर है, जहां १५ पालीवालों के १२.१३ घर हैं मन्दिरमें ३ मूर्ति पाषाण. ५ मूर्ति मूर्तियां पाषाणकी हैं, पूजन मैं दिगम्बरपनकी भास है, और पंचतीर्थी तथा १२ अन्य छोटी मूर्ति है. मन्दिरका शिलालेखक चौखटके पीछ मौजूद है, जिसपर निर्माणका संवत् १७०८ लिखा मूर्तियों पर मैल जमा हुआ है, मन्दिर में किसी भाईकी मिरचे सूख है, मन्दिरजीकी ९ वीघा जमीन है, जिसकी आमदन मन्दिरजीमें रहीथीं, इन सब बातोंके लिये उसे कहा गया, और समजाया गया कि मन्दिरको गृहकार्यमें न लायें, यहांके मन्दिरकी एक दुकान आती है, प्रबन्धकार्य मूलचन्दजी व प्रभुलालजीके हाथ है। यह अन्य जाति वाले किसीभाइने दवा ली हैं जिसका केस चल रहा है ! मन्दिर गदनीली, निठार, गाजीपुर काडीसा, भैस। ईत्यादि . ता. २८-१२-३४ की दांतिया पहुंची यहां पर पट्टीवालों के गांवों में सम्बन्धि है, इन गावोंके व्यक्ति पयूषण और पर्व तीथी को ३ घर है, मन्दिर नहीं है, रातको उन सबको रुकवा कर एक घण्टा आते है यहांसें हम गदनौलो गांव में गये, वहाँपर पल्लीवालों के · तक उपदेश दिया, धार्मिक बातें समजाई। ५ घर हैं। मन्दिरजी नहीं है, वहाँपर मनुष्यगणना कर नाबस ता. २९-१२-३४ को वन्दोखर गया, यहां पर पड़ीवालों सांथा, आये. यहां एकताम्बर जैनका प्राहक बनाया और के दो घर व एक श्वेताम्बर मन्दिर है, व्यवस्था साधारण ठीक है, . कास के तीन कार्य करवाये। जिसमें उन्होंने वार्षिक बना मामली मरम्मतकी जसरत है, जो कि यहांक भाई कहा नकत क्रमशः १) ) 1) स्वीकृत किये. ( अपुणे). यहांचालोकी आर्थिक स्थिति अच्छी है ! - ત્રણે ફિરકાનું સગડ્ડન ता. ३०-१२-३८ की कालवाडी गये । यद्यपि यहां आ गनवा मार श्रीमन्य समri पर हैं, परन्तु उस दिन एक आपने के सिवाय कोई मोजद न था, ताना प्रयासबारे विजाना पय पांच प्रतिनिधिमानी 48 यहां मन्दिरजी नहीं. સંયુક્ત સમિતિ નિમિ છે. જેની એક બેઠક આવતી તા. ૧૦ ता. ३१-१०-३४ वापस म्वरली पवा उस प्रान्त में मनु- य मारी विचारला मुंग भुमि भणशे. गणता व कान्फ्रेन्स व कार्य पहिले भर जा चुके है! જૈન સેટલ કોઓપરેટિવ બેંક ता. १-१-3को आगरा पहुंचा, वहांपर जवाहीरलालजी यानी पानान ०५५३२२३५ मापवा भार नाहटामें इस विषय में परामर्श करना था भागेका कार्यक्रम निश्चित मिरी निभाया पछी ते आपरेटिव ससाना था करना आदि प्रोग्राम बनाना था, बिगेधीयों के नोटिसका उत्तर तथा રજીસ્ટ્રાર સાથે મુલાકાત લઈ તેમને વાકેફ કરી સ્કીમને અમલમાં प्रचार ममाचारकी रिपोर्ट लिखकर तान्बर मन में दी। . મુકવા કેટલીક તજવીજ કર્યા પછી કમનસીબે સદરહુ ખાતાના यहां पर अहमदनगर जन समेतशिखर स्पेशियल ट्रेन आई हुईबी, सश निभ' या त्यांचा મજકુર રજીસ્ટ્રાર એકાએક અવસાન પામતાં આ કામ બીજી दाखभा ५७यु तु. भा वहां जवाहरलालजी नाहटाके साथ ट्रेन पर जाकर रातको दो घण्टे माय भी निभा य खी छे भने नया उन्हें पीवाल कान्फ्रेन्स का ध्यय व काय बतलाया उनकी ओरम निभाया मा २४ार तथा यायामा मान्छे १२) रूपया सहायता में मिले।। તેમણે આ સ્કીમથી વાકેફ થવા અને જરૂરી ચર્ચા કરવા માટે કન્ફરસની કમિટીના સભાસદોને રૂબરૂ મળવા જરૂર काकन्स के हड आफीस हिण्डोन छे भावी भुक्षात भाटे भता. २५. थी २८. शुभारीनी के लिये रवाना हुभा और 2-१-५ गतको सब पट्टीवाल गोयरी .
SR No.536275
Book TitleJain Yug 1935
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamnadas Amarchand Gandhi
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1935
Total Pages88
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Yug, & India
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy