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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra भो] www.kobatirth.org मरुदेवी - मोहविलसित । मरुदेवीजी बैठे गज पर निज सुतके दिलसे करें दर्शन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥ १२ ॥ समवसरण के निकट सामने दुंदुभि नाद सुने माताने देवी देवन के कोलाहल कर्णविवर के करते रंजन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन १ ॥ १३ ॥ माता पूछे भरत पौत्र से किस का वैभव सुना कर्ण से Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिता ऋषभ जितराज विराजे तीन भुवन के पूजित राजन् 'बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन १ ॥ १४ ॥ रोते रोते दिन कई बीते दुखिनी भई मैं जीवन खोते मेरा कोई स्मरण न उसको नवल जगत का ऐसा गुंजन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन १ ।। १५ ।। देखूं मै नयनों से वैभव अंघ भई मैं कैसे संभव १ सब देवन का देव ऋषभ मम साधु हृदय का मंत्र हि गुंजन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥ १६ ॥ आनंदाश्रू चले वेग से पटल गले सब दिव्य नयन से दर्शन साक्षात् परब्रह्म का आत्मविकासक जिन नयनांजन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन १ ॥ १७ ॥ कौन ऋषभ मरुमात कोन है ? भास भ्रमात्मक जगत भ्रांति है निज निज कर्म विवश जीवन सब कर्मधर्म का जग है भाजन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥ १८ ॥ कर्म गले मरुमाताजी के प्रगट उजाला दिव्य आत्म से लोकालोकप्रकाशक केवलज्ञान भया भास्करसम अनुपम बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥ १९ ॥ शीघ्र गति दिव्यांबर गाजे मुक्तिपुरी मरुदेवी बिराजे मरुदेवी मन विलसित गाते 'बालेन्दु ' आत्मा का रंजन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहाँ है मेरा जीवन १ ॥ २० ॥ --- For Private And Personal Use Only ૮૫
SR No.533811
Book TitleJain Dharm Prakash 1952 Pustak 068 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Dharm Prasarak Sabha
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1952
Total Pages28
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Dharm Prakash, & India
File Size11 MB
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