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न म प्राय: पूलूं मैं सब नदी गिरि से
वृक्ष-जालियाँ से सब तर से हँसते जाते नहिं बतलाते पागलपन कहते है सब जन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥४॥
पुष्परूप से हँसती चली
शाखा करसे करती केली रोते रोते सूखे आँसू भाता नहिं मुज को कोई भोजन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ॥५॥
दिनकर कह दो कहांऋपभ है?
पृथ्वी कण कण तुम्हें क्षात है किरण फेंक तुम चले मार्ग से नहिं बोलोगे क्या तुम राजन् ! बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ॥६॥
निशादीप! तूं शीतल करसे
शांति ऋपभकुं करे दूरसे जरूर तुझको ज्ञात हि होगा मेरा शिशु जो है चंद्रानन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन?॥७॥ - अगनित हो तुम तारे नममें
चमक रहे हो हसते मनमें घतलामो तुममें से कोई बालक मेरा नरपंचानन बोलो कोई बतलाओजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन? ॥८॥
मरुदेवी है शोकविहला
पुत्रविरह से दुःख संकुला रोते रोते नयन पटल ही आय गये नेत्रों के गंजन बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन ? ॥९॥
भरत तनुज श्री ऋपनदेव के
वंदन आये माताजी के पूछे माता भरत पौत्र से पता कोई पाया क्या साजन? बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन? ॥१०॥
भरत कहे क्या सुत से मिलना
वैभव उनका स्वयं निरखना? आवो दर्शन करने उनका इंद्र स्वयं करते है चंदन । बोलो कोई बतलावोजी ऋषभ कहां है मेरा जीवन? ॥११॥
गज अंबारी करी सवारी नानीजी पद भक्ति धारी
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