SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir wransfo restha धर्म अहिंसा उन्नति कारक, अवनत सब ही हरता है। इसको जो जन है अपनाता, उनको श्रेष्ठ बनाता है। प्रत्यक्ष प्रमाण है इसके गांधी, उनको श्रेष्ठ बनाय दीया। वीरप्रभु महावीर जिन्होंने, अधर्म का विध्वंस कीया ॥सत्यः॥१६॥ तत्व अहिंसा का नहीं समझे, वह कायर बतलाते हैं। तत्त्व समझनेवाले तो, बलवान महा कहलाते हैं। वीर नहीं महाबीर जिन्होने, वीरतत्व प्रगटाय दीया। वीरप्रभु महावीर जिन्होंने, अधर्म का विध्वंस कीया सत्य०॥१७॥ सर्वमान्य संस्था भारत की, कांग्रेस आज कहाइ है। सर्व शिरोमणि नेताओं की, वल्लभ यही मनाई है ॥ भारत को आजाद बनाने, शस्त्र अहिंसा' मुख्य कीया। चीरप्रभु महावीर जिन्होंने, अधर्म का विध्वंस कीया ॥सत्य०॥१८॥ भारतवासी भाई इस पर, शंका सदा ही करते हैं। लाला लाजपतराय के जैसे, भी प्रश्नोत्तर करते थे । नरीमान से और भी नेताने, गांधीजी से प्रश्न कीया। वीरप्रभु महावीर जिन्होंने, अधर्म का विध्वंस कीया |सत्य०||१९॥ शंकावाले सब भाई को, गांधीजी समझाते हैं। कायर नहीं चलवान अहिंसा, निश्चय फिर करवाते हैं। वीर प्रभु की वीर अहिंसा, 'नहीं इसको कायर जान लीया। वीर प्रभु महावीर जिन्होंने, अधर्म का विध्वंस कीया ॥सत्यना२०॥ अहिंसा मार्ग जो चलते हैं, वह निर्भय हो कर रहते हैं। दिन पर दिन बलशाली हो कर, शत्रु को फिर दमते हैं। सब प्रकार से स्वतंत्र हो कर, जीवन में विधाम लीया। वीर प्रभु महावीर जिन्होंने, अधर्म का विध्वंस कीया ॥सत्य०॥२१॥ भारत को आजाद बनाने, अहिंसा शस्त्र उठाया है। गांधीजी को इस थद्धा से, अखिल विश्व चराया है। सब शस्त्रों को निर्वल करने-वालो यही मार्ग लीया । वीर प्रभु महावीर जिन्होंने, अधर्म का विध्वंस कीया ॥सत्य०॥२२॥ अस्त्र शस्त्र नाचुद बने, यह चक्र अहिंसा एसा है । दुष्ट वृत्ति को परास्त कर के, विजयी बनाने जैसा है। भारत का उद्धारक है, और शत्रुओं का दमन कीया । वीर प्रभु महावीर जिन्होंने, अधर्म का विध्वंस कीया ॥सत्य॥२३॥ For Private And Personal Use Only
SR No.533704
Book TitleJain Dharm Prakash 1944 Pustak 060 Ank 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Dharm Prasarak Sabha
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1944
Total Pages36
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Dharm Prakash, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy