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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अदि सारी हमी उपाय. ૩૨ दिनही इस पुण्यकार्य के लिये मांगेथे जो श्रीमानोंके पुण्य और प्रतापकी वृद्धि के हैं और जिनमें अवश्य इन बेवश मूंगे और लोकोपयोगी पशुओं को जीवदान मिलने का सुअवसर है । का दिन, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १ ) श्रीमती भारतेश्वरी विक्टोरिया राजरानी के राज्याभिषेकका दिन.. ( २ ) जारतसम्राट श्रीमान् सप्तम एकवर्षका जन्म दिन. ( ३ ) श्रीमती राजरानी कडाका जन्म दिन.. ( ४ ) श्रीमान् राजकुमार प्रीन्स ऑफ वेल्सका जन्म दिन.. ( ९ ) श्रीमान् श्रीन्स कांस्टर्ड ( रामराय के पिता ) के निर्वाणका दिन. (६) श्रीमान् शीन्स विक्टर (नूतपूर्व मीन्स ऑफ वेल्स ) के देहांत - (७) श्रीमती भारतेश्वरी विक्टोरिया राजरानी के स्वर्गारोहनका दिन. (८) श्रीमान् सप्तम एकवर्क चारतसम्राट के राजमुकुट धारणका दिन. इनके सिवाय प्रजाके धर्म संबंधी दिनोंमें कमसे कम २२ दिनोंकी औरी प्रार्थना की थी जिनका ठहराव हिंदू, मुसलमान, ईसाई, जैनी, बौध, सि ख्ख और पारसी वगेरा हिंदुस्तानी मतानंवियाँकी सम्मति पर बोकाथा. और इन दिनोंमें शिकार की जी माफी चाही थी. और यह अपने या और किसी अपने सजाति मनुष्य मात्रके स्वार्थका काम नहींथा जो स्वीकार हो जाता या अव होजाय तो सार यह १ महीनाजी इन गरीब वेजुवान चाकरी करनेवाले और जग्तको लाभ पहुंचानेवाले पशुओं के जीवदानका हेतु होकर इस लोक और परMaraमें श्रीमानोंके पुण्य, कीर्ति, जय, यश, राज्य और एश्वर्यकी विशेष दृद्धिका कारण हो । केवल क जब तो उस नकारखाने में किसीने यह तूती की आवाज नहीं सुनी, उर्दु पत्रोंने कुछ अनुमोदन कियाया परन्तु जो यह विशेष पुण्य और जीवों काका काम है और जैनधर्म इस पुनीत कामके वास्ते ठेटमें खमा हुआ है इसलिये मैं यह उचित समजता हूं कि जो जैनसनायें इस प्रश्नको उठावें और अपने समाचार पत्रों में इसका आन्दोलन करें और शिष्ट अंग्रेजी पत्रोंमें जी इस विषय के यच्छे अच्छे लेख उपाकर इंग्लिश पब्लीक तक बात पहुंचाचे For Private And Personal Use Only
SR No.533308
Book TitleJain Dharm Prakash 1910 Pustak 026 Ank 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Dharm Prasarak Sabha
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1910
Total Pages34
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Dharm Prakash, & India
File Size3 MB
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