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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 66 ૨૩૨ જૈન ધર્મ પ્રકા म जारी कियाया जिसकी नकल तुयुक' जहांगीरसे नीचे लिखी जाती हैं। १ racea के महीने जो मेरे जन्मका महीना है १८ तारीखसे उतने दिनों तक जो मेरी उमरके वपाके बराबर हो १ दिनको १ वर्ष मान कर बंद करे। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 44 ए एक हफ्ते (सप्ताह) में दो दिन किसी पापापन लिये जावें । (१) बृहस्पतिवार को मेरे राज्याभिषेकका दिन है। (५.) इतवार को जो मेरे पिता जन्म और सुष्टिकी उत्पतिका दिन है और सूर्यजमान संबंध रखता है. मेरे पिता एस दिन की मांसका नाम नहीं १५ से अधिक हुने होगे कि ये मांस सांत ही नहीं वे और इन दोनों दिनों (इतवार और गुरुवार) में तो उन्होंने सब लोगोंको गांस खानेका निषेकादिया वा >> वा १ डोस इस विषयका हमने प्रकार और जहांगीर बादशाहोंके इसी शिष्टाचार के व्याचार पर श्रीमान् चचरतराम्राद सह रुद के राजमुकुट शरण करनेका उत्सव दिल्ली में होनेसे कुछ पहिले गई पाया था कि इस वसर पर धान पीकीज होना चाहिये, क्योंकि यह समय अकबर और जहांगीर बादशाहोंके समय से अभी सभ्यता और न्यायनीतिका समजा जाता है. अधिक न हो तो अभी कमसे कम उन वादशाहों के समय बरावरही जीवहिंसा कम की जाये और उसके वास्ते वर्षजसमें केवल आव १ तुजुक जहांगीरी जहांगीर बादशाहकी दिनचयकी पुस्तक है. जो स्वयं जहांगीरने लिखी है. और उसका हिंदी उत्यानी मैंने करके उपवा दिया है. २ नियम १ वर्ष १० महीने अधिक जीवहिंसा नहीं होतीची जहांगीर ३० वर्षकी अवस्थायें राजसिंहासन पर बैठे थे ३० दिन तो राज्याजिक पहिले वर्ष जीवहिंसा नहीं हुई फिर उनके राजत्व काल के प्रति वर्ष एक दिन गया जिसकी संख्या अंतिम वर्ष २० तक पहुंच थी. हों के १० दिन यही पशुओं के अ ● नये । चर में For Private And Personal Use Only
SR No.533308
Book TitleJain Dharm Prakash 1910 Pustak 026 Ank 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Dharm Prasarak Sabha
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1910
Total Pages34
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Dharm Prakash, & India
File Size3 MB
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