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આમન' પ્રકાશ
निक्षेपादि, विधि सूत्र, उपदेश सूत्र, भयानक जिनेश्वर देव के शासन संबंध में उनकी कैसी सूत्र, विवरण सूत्र आदि का गहन अध्ययन- गहरी आस्था हैं इसे अनुभव कर उनकी मनन करवाते हैं, तब जाकर कोई गीतार्थ प्रसन्नता का पारावार न रहा । वे सहसा होता है अपितु वैतनिक शास्त्री जी के पास आनन्द विभोर हो उठे । अध्ययन करने से कोई गीतार्थ नहीं बन प्रस्तुत घटना के बाद शांतिसागर की उग्रता जाता। आत्माराम जी महाराज ने शांतिसागर और दराग्रह में आशातीत कमी आ गई । को अनुलक्षित कर स्पष्ट शब्दो में कहा।
। म कहा। वह नम्र-विनम्र हो गए। उनके कई भक्त शांति शागर मौन रह. आत्माराम जी की आत्माराम जी की छत्रछाया में आ गए । बात सुनते रहे। उन्होंने अपनी बात इस शांतिसागर के कारण अमदावाद का जैन संघ कदर शांत, निर्दीप और सहज शैली में बताई लगभग विभक्त होने की कगार पर आ गया कि उपस्थिति श्रोतावर्ग भी उक्त संवाद सुन, था । महाराज जी ने अपनी कुशलता एवं मंत्रमुग्ध हो गया। जब कि श्री बुट्टेराय जी अद्भुत प्रतिभा से उसे सदा-सर्वदा के लिए महाराज के संबंध में तो कुछ कहने जैसा ही बचा लिया। सर्वत्र शांति का वातावरण छा न रहा । श्री आत्माराम जी महाराज का गया।
(कमशः) शास्त्रीयज्ञान कितना उच्च कोटि का है और श्री
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