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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir આમન' પ્રકાશ निक्षेपादि, विधि सूत्र, उपदेश सूत्र, भयानक जिनेश्वर देव के शासन संबंध में उनकी कैसी सूत्र, विवरण सूत्र आदि का गहन अध्ययन- गहरी आस्था हैं इसे अनुभव कर उनकी मनन करवाते हैं, तब जाकर कोई गीतार्थ प्रसन्नता का पारावार न रहा । वे सहसा होता है अपितु वैतनिक शास्त्री जी के पास आनन्द विभोर हो उठे । अध्ययन करने से कोई गीतार्थ नहीं बन प्रस्तुत घटना के बाद शांतिसागर की उग्रता जाता। आत्माराम जी महाराज ने शांतिसागर और दराग्रह में आशातीत कमी आ गई । को अनुलक्षित कर स्पष्ट शब्दो में कहा। । म कहा। वह नम्र-विनम्र हो गए। उनके कई भक्त शांति शागर मौन रह. आत्माराम जी की आत्माराम जी की छत्रछाया में आ गए । बात सुनते रहे। उन्होंने अपनी बात इस शांतिसागर के कारण अमदावाद का जैन संघ कदर शांत, निर्दीप और सहज शैली में बताई लगभग विभक्त होने की कगार पर आ गया कि उपस्थिति श्रोतावर्ग भी उक्त संवाद सुन, था । महाराज जी ने अपनी कुशलता एवं मंत्रमुग्ध हो गया। जब कि श्री बुट्टेराय जी अद्भुत प्रतिभा से उसे सदा-सर्वदा के लिए महाराज के संबंध में तो कुछ कहने जैसा ही बचा लिया। सर्वत्र शांति का वातावरण छा न रहा । श्री आत्माराम जी महाराज का गया। (कमशः) शास्त्रीयज्ञान कितना उच्च कोटि का है और श्री 609 660 O For Private And Personal Use Only
SR No.532033
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 093 Ank 09 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramodkant K Shah
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1995
Total Pages20
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size3 MB
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