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आत्मानंद प्रकाश ]
मे लड कर श्री सम्मेद शिखर तीर्थ को श्री और कार्य हम सभी के लिए प्रेरक और आनंदजी कल्याणजी पेढी को सौंपा था । मार्गदर्शन रुप है। इसको उन्हे लंदन जाकर केस लड़ना पडा इस समारोह में सादडी मे आए परम था । आज फिर उस तीर्थ पर संकट के गुरुभक्त कवि श्री विमलचंद रांका ने अपने बादल छाए हैं । आज फिर हमें एक श्री भावपूर्ण गित प्रस्तुत किए । वीरचंद राधवजी गांधी की आवश्यक्ता है।
इस प्रसग पर नवरंगपुरा, अहमदाबाद पूज्य गुरुदेव ने अपने आशीर्वाद दूबोधन धी मघ की ओर से श्री ललितभाई कोलमें कहा कि जैन धर्म का सिद्धान्त है कि सावाला. कृष्णनगर श्री संघ की ओर से मनुष्य जन्म में नहीं, कर्म से महान बनता श्री चंपकभाई ने पूज्य गुरुदेव से चातुर्मास है। मनुष्य के जन्म का नहीं, किन्तु उमके की आयटपर्ण विनती की। श्री संघ मांजकर्म का महत्व है मनुष्य निस्वार्थ भाव मे लपुर, बडौद की ओर से भी चातुर्मास की लागों का परोपकार करता है. कुछ एसा विनती की गई। विशिष्ठ कार्य करता है जो सदियों तक
संक्रांति भजन के बाद पूज्य गुरुदेव ने जीवित रहता हैं तो उस मनुष्य का जन्म
स्तोत्रपाठ, मांगलिक एवं संक्रांति नाम सुनाभी महान बन जाता हैं और जिस नगर में
कर सभी को वासक्षेप दिया । उसका जन्म होता है वह गांव या नगर भी दर्शनीय बन जाता है । मह वा इसीलिए आज पूज्य गुरुदेव महुवा से विहार कर उना सभी का दर्शनीय स्थल और ऐतिहासिक भमि अजारा तीर्थ के दर्शनार्थ पधारे हैं । दि. बना हुआ है । यहां जिन महान पुरुषों ने १३-५-९४ शुक्रवार को उनके वर्षी तप का जन्म लिया उन्होंने संसार के उपकार का पारणा शत्रुजय महातीथ की पावन भूमि कार्य किया है। जावड शाह, वीरचंद राघवजी पर होगा । जिसकी भव्य तैयारियां चल गांधी, आचार्य श्री धर्ममूरि और आचार्य रही हैं । श्री नेमिसरिजी महाराज जैन इतिहास के प्रकाशित नक्षत्र है । उनका महान जीवन
जो हम स्वयं के लिए चाहते है वह दूसरों के लिए नहीं सोचते । हमें दुःख प्रिय नहीं, आलोचना महन नहीं, किन्तु दूसरों को दुःख देने में मजा आता है। दूसरों की निंदा में रस आता है । कैसी बिडम्बना है महारे स्वभाव की ?
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