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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आत्मानंद प्रकाश ] सुप्रसिद्ध कथाकार मुरारि बापू गुरुदेव के दर्शनार्थ महुवा । यहां दि. १४-४-९४ को संक्रांति के दिन मध्यान्ह २-०० बजे गुजरात के विख्यात राम कथा वाचक श्री मुरारिबापु पूज्य गुरूदेव के दशनार्थ जैन उपाश्रय में आए । वे कथावाचन के अपने अति व्यस्त कार्यक्रम में से समय निकाल कर पूज्य गुरुदेव के चरणों में उपस्थित हुए थे । उन्होंने सौराष्ट्र, महुवा में पूज्य गुरुदेव के पदार्पण पर अत्याधिक प्रसन्नता व्यक्त की और उनके इस उम्र में वर्षीतप करने पर भूरि भूरि अनुमोदना एवं सुखशाता-पृच्छा की उन्होंने कहा कि जैन साघु लोग जितनी महान तपस्या, त्याग और कठोर सयम का पालन करते है उतना अन्य कोई नहीं करता न कर सकता हैं । दोनों ने विविध विषयों पर बातचीत की। सम्मेद शिखर तीर्थका विवाद आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए। -पूज्य गुरुदेव महुवा । यहां दि. १४-४-९४ को आयोजित संक्रांति समारोह में सम्मेद शिखर तीर्थ विवाद के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए पूज्य गुरुदेव ने कहा कि सम्मेद शिखर तीर्थका विवाद आपसी बातचीत के माध्यम से सुलझाना चाहिए। श्वेताम्बरों और दिगम्बरों को परस्पर लडने के बजाय स्नेह, सद्भाव और सौहार्द पूर्ण वातावरण बनाकर इस विवाद का आपस में बैठकर हल निकाल लेना चाहिए। यदि वे दोनो लडेंगे तों सरकार हस्तक्षेप करेगी और तीर्थ न श्वेताम्बरों के हाथ में रहेगा न दिगम्बरों के । उनके आपस में लडने से जो स्थिति केसरियाजी तीर्थ एवं अंतरिक्ष तीर्थं की हुई हैं वह स्थिति सम्मेद शिखर की भी होगी । प्रारंभ से यह तीर्थ श्वेताम्बरों के हाथ में रहा है । दिगम्बर जैन बेवजह इसमें हस्तक्षेप कर रहे है । दिगम्बरों को चाहिए कि वे श्वेताम्बरों को अपना भाई समझ न कि दुश्मन । आज का युग समन्वय का युग हैं इस तरह के विवाद से जौन एकता को खतरा उत्पन्न हो सकता है । सम्मेद शिखर तीर्थ को सरकारी कुद्रष्टि से बचाना आवश्यक हैं । समस्त भारत के श्वेताम्बररों को एकत्र होकर अपने तीर्थ करों की निर्वाण भूमि की किसी भी उपाय से रक्षा करनी चाहिए। For Private And Personal Use Only
SR No.532016
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 091 Ank 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramodkant K Shah
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1993
Total Pages21
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size3 MB
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