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[आत्मानंद प्रकाश
च्चन्दसूरिजी महाराज तथा उपाध्याय श्री दाठा, त्राज आदि कई स्थानों, से भक्तगण वीरेन्द्र विजयजी महाराज आदि ठाणा चतुर्विध बडी संख्या में इस समारोह में सम्मिलित श्री संघ के साथ उपाश्रय से प्रस्थान करके हुए थे। वाजे-गाजे के साथ नगर के मध्य स्थित अपने प्रारंभिक वक्तव्य में उपाध्याय श्री "श्री वीरचंद राघवजी गांधी चौक" में पधारे वीरेन्द्रविजयजी महाराज ने कहा कि जिस यहां पूज्य गुरुदेव का वासक्षेप ग्रहण कर भूमि पर आज हम पूज्य गुरुदेव की निधा परम गुरु भक्त श्री रघुवीरकुमार जैन ने में उपस्थित हुए हैं । वह भूमि अत्यन्त पावन अपने कर कमलों से थी वीरचंद राघवजी पवित्र और पुण्यशाली महान पुरुषों की जन्मगांधी के स्टेच्यू का अनावरण किया । उनके स्थली है । इसका प्राचीन नाम मधुपुरी है। अनावरण करने के साथ ही गुरुदेवों के जय. गजय की पचती: में महवा का भी स्थान कारों के साथ आकाश गुज उठा। पूज्य है । शत्रुजय महातीर्थ के सोलह उद्धार हा गुरुदेव ने यहां सभी को मांगलिक सुनाया । है उनमें एक उद्धार जावडशा का हैं। वे अनावरण कर्ता सक्रांति भक्त श्री रघुवीर जावडशा इसी महुवा के रत्न थे । काशीवाले कुमार जैन ने श्री संध महुवा को पच्चीस धर्ममूरि आचार्य श्री नेमिसूरिजी महाराज हजार रुपए के अनुदान देने की घोषणा की। तथा श्री बीरचंद राघवजी गांधी भी इसी
इस कार्यक्रम के बाद पूज्य गुरुदेव चतु- मिट्टी के सुगंधित पुष्ा थे, जिन्होंने संसार में विध श्री संध के साथ श्री वीरचंद राघवजी सर्वत्र अपनी मनमोहक व्यक्तित्व और कार्य गांधी के घर चरण डालने के लिए पधारे । की सुगंध फैलाई थी । पूज्य गुरूदेव एवं बाहर से आए गुरुभक्तों ने कार्यदक्ष आचार्य श्रीमद् विजय जगच्चन्द्र श्री वीरचद राघवजी गांधी की पुरानी सूरीश्वरजी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा वस्तुओं का अवलोकन किया । पूज्य गुरुदेव कि जिस स्थान पर महापुरुषों का जन्म होता ने उनके परिवार को मांगलिक सुनाया और है वह स्थान पावन, पवित्र और प्रेरक बन आशीर्वाद दिया ।
जाता हैं । महापुरुष किसी एक स्थान के न प्रातः ७-३० बजे उपाश्रय के विशाल होकर सारे विश्व के बन जाते हैं। इस होल में पूज्य गुरुदेव के मंगलाचरण के साथ महुवा नगर पर हमें गौरव और अभिमान ही संक्रांनि समारोह के कार्यक्रम का प्रारंभ है । इस भूमि से ऐसे-ऐसे रत्न पैदा हुए हैं हुआ । महुबा में सर्व प्रथमबार पूज्य गुरुदेव जिन्हों ने संसार को नयी प्रेरणा और नयी का आगमन हुआ था । इसलिए संक्राति भी दिशा दी थी आज सम्मेद शिखरजी तीर्थ का पहली बार यहां आयोजित हो रही थी। विवाद चल रहा है । एक समय था जब श्री सक्रांति भक्तों के अतिरिक्त महुवा, भावनगर वीरचंद राघवजी गांधी ने अग्रेज सरकार
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