________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
મુનિ શ્રી પુણ્યવિજયજી શ્રદ્ધાંજલિ-વિશેષાંક ... [१२५ સંસ્થાઓ તથા સંધના પત્રોમાંથી–
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर यह समाचार पढकर हमें हार्दिक दुःख हुवा कि श्रीमान् पूज्य मुनि पुण्यविजयजीका निधन हो गया। प्रतिष्ठानसे मुनिजी महाराजका संबंध इसके स्थापना-कालसे ही रहा है और उनके सहयोगसे अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य संपादित किये गये हैं। प्रतिष्ठान-परिवार दिवंगत आत्माको शान्तिके लिए प्रार्थना करता है।
(पुरुषोत्तमलाल मेनारीआ; १७-६-७१) શ્રી જૈન આત્માનંદ સભા, ભાવનગર આગમપ્રભાકર શ્રુતશીલવારિધિ મુનિરાજ શ્રી પુણ્યવિજયજી મહારાજના કાળધર્મ પામ્યાના અત્યંત દુઃખદ સમાચાર તારથી મળ્યા. આ સભાને તે એક ધારસ્તંભ તૂટી પડ્યો. જગતના વિદ્વાનોને એક મહાન સંશાધકની ખોટ પડી છે. જૈન સમાજને એક મહાન માર્ગદર્શક મુનિવરની લાંબા સમય સુધી ન પુરાય તેવી ખોટ પડી છે અને આ સભા ઉપર તે વજાઘાત જેવું થયું છે. તેઓશ્રીની પુણ્ય સ્મૃતિમાં એકાદ પુસ્તક બહાર પાડવા અમારી ઈચ્છા છે. અમે આપ સહુ ગુરુ દેવોના આશીર્વાદ અને સહકાર માગીએ છીએ.
(पू. मा. श्री. वियसभुसूरि० भ७।२।०८ S५२ सणेश पत्रमाथी)
(भाभय यांप|ी शाड, प्रभुम; ता. २४-१-७१) श्रीसंघ तथा श्री आत्मानन्द जैन सभा, सामाना श्री आगमप्रभाकर श्रुतशीलवारिधि मुनिराज श्री पुण्यविजयजी महाराज साहेबका बम्बइमें देवलोक हो गया। हम जैन समाजके लिये यह घटना कितनी भारी थी जो कि हमारे दिलोंसे दूर नहीं हो सकती । वह एक जैन समाजकी महान ज्योति थे, जिससे जैन समाज वंचित हो गया है। क्या किया जाये ? कोई पेश नहीं चलती । उन्होनें एक महान ज्ञानके उपलक्ष्यमें पुण्य पर विजय पा ली थी। हमारे प्रधानजी ला० सागरचन्दजीने बम्बईमें उनसे कुछ शास्त्रके मुतालिक मामूली बातें की थी। उनकी मधुर वाणी और उनकी सीरियतसे भरी हुई गर्जना थी वो हमारे दिलों पर अबतक याद हैं। ऐसे महापुरुष कम मिलते हैं। दुर्भाग्यकी बात है, ऐसे बेवक्त उनका चला जाना । जैन समाज वह जगह पूरी नहीं कर सकेगा। बहुत दिनोंकी बात है, सामानाके भंडारको देखनेके लिये एक पंजावी सरदार साहिब आये; उनसे बातचीत होते समय उन्होंने जिकर किया कि मैं श्री पुण्यविजय महाराजजीको मिलकर आया हूँ। वह महाराज पुण्यविजयजीकी बहुत तारीफ करते थे। हम समझते हैं, वो जैन समाज के विद्वान् नहीं थे बल्कि विश्वके विद्वान् थे । वो देवलोकमें भी जैन समाजकी अपनी करुण दृष्टिसे मेहरकी नजर रखेंगे । वो एक महान् पुरुष थे, Reformer थे, विश्वके विद्वानोंमें उनका नाम था ।
(ता. १-७-७१) श्री आत्मवल्लभ जैन पंजाबी संघ, आगरा समाचार पत्रोंमें आगमप्रभाकर मुनि श्री पुण्यविजयजी महाराजका बम्बइमें निधन पढकर बहुत दुःख हुआ । जैन समाजको बहुत बडा धक्का लगा है।
(रघुवीरकुमार जैन, मंत्री; ता. १९-६-७१)
For Private And Personal Use Only