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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैन योगीराज आनंदघनजी के दो महत्त्वपूर्ण उल्लेख । ( श्री अगरचंदजी नाहटा ) श्वेतांबर जैन समाज में श्रीमद् आनंदधनजी योगीराज व परम संत के रूप में सर्वत्र प्रसिद्ध है । उनके चौवीशी एवं पदों के प्रति करीब ३०० वर्षो से बड़ा आदरभाव नजर आता है । आप के समकालीन विद्वशिरोमणि यशोविजयजीने आपकी चोवीशी पर बालावबोध रचने का उल्लेख मिलता हैं पर अभी तक उस की प्रति कहीं से भी उपलब्ध नहीं हुई । उसके मिलने पर सचमुच ही श्रीमद् के उच्च भावों को समझने में बड़ी सुगमता उपस्थित होगी। अभी चावीशी पर श्री ज्ञानविमलसूरिजी एवं ज्ञानसार के बालावबोध ही उपलब्ध हैं जिन में प्रथम १८वीं के उत्तरार्द्ध में एवं दूसरा सं. १८६६ कृष्णगढ में रचा गया है। प्रथम बालावबोध साधारण है । उस में श्रीमद् के भावों का भलीभांति प्रकाशन नहीं हो सका । ज्ञानसागरजीने बालावबोध ३७ वर्ष के मनन के बाद लिखा है। और वह बहुत ही उत्तम है | श्रावक भीमसी माणकने इसको साररूप में प्रकाशित किया है । मूलतः यह ३८०० श्लोक परिमित हैं। जिसका प्रकाशन होना अभी अपेक्षित है । गत वर्षो में चौवीशी पर कई विद्वानोंने विवेचन लिखे हैं जिन में श्री माणकलाल के कृत अर्थ सत्श्रुतप्रचारक मंडल - खंभात से प्रकाशित हो चूका है । श्रीमद् राजचंद्र एवं पूज्य संतप्रवर सहजानंदजीने १-२ स्तवनों पर विवेचन लिखा है वह बहुत ही सुन्दर है । यदि ये पूरा लिखपाते तो बहुत सुन्दर होता । सहजानंदजी अभी तो अपनी साधना में लयलीन हैं अतः फिर अनुरोध कर के लिखाने का प्रयत्न किया जायगा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौवीसीका पं. प्रभुदास बेचरदासकृत विवेचन है और मान्यवर मोतीचंद गिरधरलाल कापडिये का है । जयपुर के श्री उमरावचंदजी जरगड़ ने हिन्दी में विचार विस्तार से विवेचन प्रकाशित करने का है पर अपने जवाहरत के धन्धों में समय नहीं निकाल पाते, अतः वह पूरा नहीं हो पाया। डो. भगवानदास मनसुखभाई का विवेचन जैन धर्मप्रकाश में क्रमशः छप ही रहा है । यह बहुत विस्तार से लिखा गया प्रतीत होता है । Co) For Private And Personal Use Only हाल ही में प्रकाशित हुआ विवेचन संभवतः छप रहा भावार्थ लिखा है । उनका
SR No.531776
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 068 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Atmanand Sabha Bhavnagar
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1970
Total Pages36
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size4 MB
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