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________________ v à v v v v v v :: . ::* દિક્ષા મહેસવ. र दिखा रहीथी समोसरणकी रचना भान पडतीथी इस कदर अपूर्व समयथाकि देखने वालेही समझ सकते हैं सरकारी जाब ता मये हथयारोके साथमें चलताथा आगे २ झंडे निशानवाले चलतेथे बादमें हस्ती सजे हुवे झूमते जारहेथे उनके उपर जयप ताकाका झंडा लहराताथा. बादमें कोतल घोडे सजाईयुक्त नृत्य करते अजब वहार दिखा रहेथे. उसके बादमें दो बेंड बाजे और नाना प्रकारके वाजित बजते जारहेथे उसके बादमें लुध्यिानेकी आत्मानंद भजन मंडलीवो लल्कारकर गुरु भक्तिके भजन सुना रहीथी कि इस्त्री पुर्षोंके झुंडके झुंड सुन्नेके वास्ते उपरा उपरी गि पडतेथे बादमें होश्यारपुरकी आत्मानंद भजन मंडली पंजावके अ... नगरोंकी आत्मानंद भजन मंडलियां भजन करती चलतीथी. बाई में श्रीजीकी सवारीके आगे जैपुर और आगरे नगरके भाई मधु र ध्वनी पूर्वक भगवान भजन गाते चले जारहेथे, साथमें माहात्मा श्री १००८ बादि मुख भंजन श्रीमत वल्लभविजयजी महाराजकि जिनके तपोबलके प्रताबसे आज जैन जातिको शुभ दिन देखना नसिव हुवा है सहपरिवार और खरतर गच्छके श्रीपूज्यजी महाराज परि वार सहिते शोभाको चढा रहेथे औरभी कईयतिजी साथमेंथे कि जिनका नाम मुझे नः मालुम होनेके कारण प्रघट नही कर सकता हूं अन्य नगरोंके आये हुवे भाई आगरा-दिल्ली-सिकन्दराबाद होश्यारपुर--गुजरांवाला-समानां-मालेरकोटला-रोपड-जालन्धर लुथ्याना-सनखतरा-जेजों-कमूर-किलादीदारसिंह -जम्बू-गुवा लियर-बनारस-कलकत्ता-अजमेर-व्यावर-पाली-बीकानेर-वडोदा सीरोही-सांभर-भालपुरा-वरखेडा-चाखम्मू-टोंक--मूरत-आदिकके समस्त हजारों नरनारीयों के दलके दल साथ चलते रहनेके अतिरिक्त वोभी जिनेश्वर भगवानकी जय ३ कलिकाल सर्वस्य समा
SR No.531071
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 006 Ank 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Oghavji Shah
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1908
Total Pages22
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size1 MB
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