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किरण- ३ ]
प्रतिमा - लेख - संग्रह
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२ दशलाक्षणिक यंत्र - "संवत् १७६० वर्षे फाल्गुण सुदि १ गुरौ श्रीमूलसंघे बलात्कारगणे सरस्वती गच्छे श्रीकुंदकुंदाचार्यान्नाये भ० श्री विश्वभूषण देवास्तत्पठ्ठे श्रीदेवेन्द्रभूषण वेवास्तपट्ट भ० श्रीसुरेन्द्र भूषण देवास्तदाम्नाए यदुवंशे लंबकंचुकान्वये रपरिया गोल सा० छवीले पुस सा० शंकर भार्या तिलका पुस ३ ज्येष्ठ साह मारसेनि द्वि० सा० सुखमल..... सा० उदैराजेन यंस प्रतिष्ठापितं ।”
३ षोड़शकारण यंत्र - " शुभ संवत् १३२० फागुण वदि ३ गुरुवासरे श्रीमूल संघे व० ग० स ग० कुं० श्रीमदुन्नहारक जिनेन्द्रभूषण जिद्देवस्तत्पट्ट े श्रीमद्भट्टारक महेन्द्रभूषण जिदेवस्तत्पट्ट े श्रीभट्टारक राजेन्द्रभूषणजि देवस्तदुपदेशात् श्रीमदुग्र वंशोद्भवः वाशिलगोत्रोत्पन्नः । काष्टा संघे बाबू ब्रजमोहनदासस्तद्भार्या सुंदरि - कुंवरिस्तत्पुत्र बाबू जगमोहन दास बाबू मुनिसुव्रत दासौ तद्भायें कांताकुंवरि टुकटुक कुंवरि संज्ञके च ताभि: प्रतिष्टयकर्ता आरा नगर्खा केलिरामस्ततं पुत्र डालचंद अग्रवार गरग गोलोत्पन्नस्य मस्तके कृता ।"
४ सम्यक् चारित्र यंत्र - नं ३ की भांति ।
१ नवग्रहयंत्र - लेख - रहित
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