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________________ १०२ भास्कर [ भाग २ प्रान्त में भट्टारकों की विरुदावली में आये हुए तीन प्रसिद्ध स्थानों का नाम उपलब्ध होता है। जैसे-उक्त क्षेमपुर'-जिसका वर्तमान नाम गेरुसोप्पे' है। 'श्वेतपुर' जिसका वर्तमान नाम 'विळिगे' है। इसी प्रकार 'संगीतपुर'-जिसका वर्तमाय नाम 'हाडुल्लि' है। (बंबई प्रान्त के प्राचीन जैनस्मारक पृष्ठ १३८) इससे भी पता लगता है कि एक जमाने में यह प्रान्त विशेष समृद्धशाली रहा। गेरुसोप्पे या क्षेमपुर के सम्बन्ध में एक और प्रमाण उपस्थित करदेना मैं समुचित समझता हूँ। वह यह है-"इंतेसव नगरि राज्यद मध्यप्रदेशदोल बळसिर्दोप्युव नंदनावनगळिं कासारनीरेजदि। कळधौतोज्ज्वल सालकोत्तलगळिंबट्टाल जालंगळिं। विलसद्गोपुरदिं सुहयंचयदि श्रीजैनगेहंगळिं। चेलुवं ताल्दिद गेरुसोप्पे नगरं कोंडाडलाबल्लरै।" (मूडबिद्री त्रिभुवन-तिलक-चैत्यालय के शिलालेख से) वादिराज-कृत यशोधरचरित्र की लक्षण ने एक टीका लिखी है। उनका कहना है कि इस टीका को मैंने क्षेमपुर ही में रचा है। लक्षण का संकेतित क्षेमपुर उल्लिखित 'क्षेमपुर' होने की अधिक संभावना है। साथ ही साथ यह भी संभव है कि जिस नेमिनाथालय में उन्होंने इसकी टीका रची है वह नेमिनाथालय इस समय जो वहां पर भग्नावस्था में मौजूद है यही हो । मेरा अनुमान है कि यह 'गेरुसोप्पे' जीवन्धर का प्राचीन क्षेमपुर है। इस सम्बन्ध में विद्वानों को अनुकूल या प्रतिकूल प्रमाण उपस्थित कर इस विषय पर अधिक प्रकाश डालना चायिये। इसी प्रकार जीवन्धर के समकालीन पल्लवदेश की चन्द्राभा नगरी के राजा धनपति, उक्त क्षेमपुरी के राजा नरपति देव, मध्यप्रदेश की हेमामा नगरी के राजा दृढमित्र, विदेह के धरणी तिलक नगर के राजा गोविन्दराज आदि शासकों एवं इनकी राजधानियों के सम्बन्ध में भी अन्वेषण करने की बड़ी आवश्यकता है। . "स्वस्ति श्रीमद्रायराजगुरुभूमण्डलाचार्यवर्यमहावादवादीश्वररायवादिपितामहसकलविद्वजनसार्वभौमाद्यनेकविरुदावलीविराजमानश्रीमन्निजघटिकस्थानदिल्लि-कनकादि-श्वेतपुर-सुधापुर-संगीतपुरक्षेमवेणुपुर-श्रीमद्धेल्गोल-सिद्धसिंहासनाधीश्वरश्रीमदभिनवचारुकीर्शि x xxxx २ श्रीमत्पद्मणगुन्मदैत्यभिहितौ श्रीवर्णिनौ भूतले भातश्चारुचरित्रवार्धिहिमगुस्तप्रीतये लक्षणः । मन्दो बन्धुरवादिराजविदुषः काव्यस्य कल्याणदाम् टीका क्षेमपुरेऽकरोद्गुरुतरश्रीनेमिनाथालये ॥ A triennial Catalogue of manuscripts Govt. Library Madras, 1916-17 • to 1918-19 Vol. III.-Part 1. Sanskrit C. Page 3826.
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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