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________________ बिजोलिया के शिलालेख (ले०-श्रीयुत मुनि हिमांशुविजय, न्यायकाव्यतीर्थ) प्राकथन . मारवाड़ में बिजोलिया' गाँव से प्राध मील दूर पूर्वाग्नेय कोण में 'पार्श्वनाथ' नाम का एक स्थान है। वहाँ पर पत्थर में अनेक लेख खुदे हुए हैं। उनकी किसी महाशय ने कॉपी की थी। उस कापी पर से श्रीयुत पं० भ्रमर शर्मा जी ने उसकी नकल की। और उसे श्रीयुत सत्यनारायणजी पंड्या शिवपुरी लाए थे। उपयुक्त समझ कर मैंने शर्मा जी की लिखित कॉपी से प्रस्तुत कॉपी लिखी है। अतः मैं दोनों को साधुवाद देता हूँ। . दूसरी कॉपीकार ने लिखा है:-इस समय 'पार्श्वनाथ' नामक जैनमंदिर में हनुमान, शिवजी और गणपति की मूर्ति स्थापित कर वैदिकों ने उसपर आधिपत्य जमायां है। मुकदमा चल रहा है। पहले यहाँ पर 'महाशाश' नामक मंत्री जैनधर्मानुयायी थे। उक्त प्रदेश में जैनियों का प्रचार और उदय बहुत बड़ा था। इतिहासज्ञों के लिए भी यह एक काम की चीज है। उक्त शिलालेख का बहुत कुछ भाग मूल कॉपीकार के पढ़ने में साफ नहीं आया होगा इसलिए उन्होंने छोड़ दिया। दूसरी नकल करनेवाले शर्मा जी को प्रथम कॉपीकार के जितने अक्षर साफ समझ में नहीं आए उतने उन्होंने भी छोड़ दिये। और शर्माजी की कॉपी से मैंने यह कॉपी की है। मुझे जो पाठ संदिग्ध लगा वहाँ मैने (?) ऐसा चिह्न किया है। जो पाठ पढ़ने में साफ नहीं आया उसको मैंने भी ......चिह्न कर छोड़ दिया है। और बाकी शुद्ध या अशुद्ध जैसा पाठ उक्त दूसरी कॉपी में था वह मैंने यहाँ उतारा है। लेख का सम्बन्ध इतिहास के साथ होने से मूलस्थान में खुदे हुए शिलालेख से प्रस्तुत लेख शुद्ध किया जाय तो बहुत लाभ हो सकता है। यहाँ दो शिलालेखों की कॉपी है। दूसरा प्रमाण में बड़ा है और पुरातत्त्वज्ञों के लिए भी काम का है। उसमें कई भारतीय राजा, मंत्री, श्रेष्ठी और उनके कुलों का वर्णन है। अनेक जैनमुनि और उनके संप्रदायों का उल्लेख है। जैनों के लिये-दिगम्बरों के लिये यह विशेष उपयुक्त है।
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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