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________________ अनेकान्त 69/3, जुलाई-सितम्बर, 2016 प्रतिज्ञा करता हूँ कि राजकोष से क्षेत्र का जीर्णोद्धार अवश्य कराऊँगा। जिनभक्ति के प्रभाव एवं दैव की अनुकूलता से उन्हें पन्ना का राज्य वापिस प्राप्त हो गया। उन्होंने राजकोष से जीर्णोद्धार का कार्य कराया जो वि.सं. 1757 (1700ई.) में पूरा हो गया। वहाँ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव सोमवार माघ शुक्ला पूर्णिमा वि.सं. 1757 में पूर्ण हुआ, जिसमें महाराजा छत्रसाल स्वयं पधारे तथा उन्होंने क्षेत्र के लिए छत्र, चमर एवं पूजा के पात्र भेंट किये। उसी की स्मृति में तब से वहाँ पर माघ शुक्ला पूर्णिमा को भव्य मेला का आयोजन होता आ रहा है। ऐसा कहा जाता है कि मुगल शासकों ने बड़े बाबा की मूर्ति को तोड़ने का खूब प्रयास किया किन्तु उन्हें मधु-मक्खियों द्वारा घेर लेने तथा अन्य-अन्य अतिशयकारी कारणों से मुह की खानी पड़ी तथा प्राण बचाकर भागना पड़ा था। आज परमपूज्य आचार्य विद्यासागर जी महाराज वरिष्ठ आचार्य तो हैं ही, अपनी निरतिचार चर्या के कारण 20-21वीं शताब्दी के इतिहास में प्रथम पांक्तेय तथा कनिष्ठिकाधिष्ठित हैं। उनके ससंघ पावन सान्निध्य में 5-9 जून, 2016 में बड़े बाबा का महामस्तकाभिषेक महोत्सव अत्यन्त प्रभावना के साथ मनाया गया, जो भक्तों की भीड़ को देखकर आगे भी चलता रहा। इस अवसर पर देश एवं प्रदेश के बड़े-बड़े राजनेताओं, विद्वानों एवं श्रेष्ठियों ने बड़े बाबा के दर्शन कर जहाँ अपने नेत्रवान् होने का फल प्राप्त किया, वहाँ छोटे बाबा के नाम से प्रसिद्ध परमपूज्य आचार्य विद्यासागर जी महाराज ससंघ के दर्शन से अपने पुण्य की सराहना की। कुण्डलपुर में विराजमान बड़े बाबा और उनके प्रति अतिशयित प्रशस्तानुरागी आचार्यश्री (ससंघ) के पावन चरणों में कोटिशः नमोऽस्तु। - डॉ. जयकुमार जैन ******
SR No.527331
Book TitleAnekant 2016 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year2016
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size230 KB
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