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________________ अने कान्त मार्च १६५४ यह चित्ताकर्षक मूर्ति श्रीसीमन्धरस्वामीकी है और राजकोटके नूतन जैनमन्दिर में विराजमान है । इस मन्दिर और मूर्तिका निर्माण सोनगढ़ के सन्त सत्पुरुष कानजी स्वामीकी प्र ेरणा से हुआ है और उन्होंके द्वारा यह प्रतिष्ठित है । यात्राथियोंको गिरनारजी जाते समय इस भव्य मूर्तिका दर्शन जरूर करना चाहिये । सम्पादक मण्डल श्रीजुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर' बा० छोटेलाल जैन M. RA.S. बा० जय भगवान जैन एडवोकेट पण्डित डी. एस. जैतली पं० परमानन्द शास्त्री अनेकान्त वर्ष १२ किरण १०
SR No.527324
Book TitleAnekant 1954 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJugalkishor Mukhtar
Publication Year1954
Total Pages30
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size11 MB
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