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________________ ॐ अहम वस्तुतत्त्व-सघातक विश्वतत्त्व-प्रकाशक वाषिक मूल्य ५) एक किरण का मूल्य ॥) wallingan PHARIRAHHHHHHHI नीतिविरोधष्वंसीलोकन्यवहारवर्तकः सम्यक् । परमागमस्य बीज भुवनेकगुरुर्जयत्यनेकान्तः सम्पादक-जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' वर्ष १२ । • वीरसेवामन्दिर, १ दरियागंज, देहली नवम्बर किरण ६ कार्तिक वीरनि० संवत् २४८०, वि. संवत् २०१० । १६५३ समयसारकी १५वीं गाथा और श्रीकानजी स्वामी [सम्पादकीय ] प्रास्ताविक प्रत्यक्षमें भी चर्चा चलाई गई पर सफल मनोरथ नहीं हो श्रीकुन्दकुन्दाचार्यकी कृतियोंमें 'समयसार' एक सका। और इसलिये मैंने इस गाथाकी व्याख्याके लिये प्रसिद्ध ग्रन्थ है जो आज कल अधिकतर पठन-पाठनका १००) रुपएके पुरस्कारकी एक योजना की और उसे अपने विषय बना हुश्रा है। इसकी १५ वी गाथा अपने प्रचलित १००) रु. के पुरस्कारोंकी उस विज्ञप्तिमें अग्रस्थान दिया जो गतवर्षके अनेकान्तकी संयुक्त किरण नं. ४-५ में रूपमें इस प्रकार है प्रकाशित हुई है। गाथाकी व्याख्यामें जिन बातोंका स्पष्टीजो पस्सदि अप्पाणं अबद्धपुट्र अणएणविसेसं। करण चाहा गया वे इस प्रकार हैं:अपदेससंतमझ पस्सदि जिणसासणं सव्वं ॥१५॥ (१) आत्माको प्रबद्धस्पृष्ट, अनन्य और अविशेषरूपसे इसमें बतलाया गया है कि 'जो प्रास्माको प्रबद्धस्पृष्ट देखने पर सारे जिनशासनको केसे देखा जाता है? अनन्य और अविशेष जैसे रूपमें देखता है वह सारे जिन- (२) उस जिनशासनका क्या रूप है जिसे उस द्रष्टाके द्वारा शासनको देखता है। इस सामान्य कयन पर मुझे कुछ पूर्णतः देखा जाता है? शंकाएं उत्पन्न हुई और मैंने उन्हें कुछ प्राध्यास्मिक (३) वह जिनशासन श्रीकुन्दकुन्द, समन्तभद्र, उमास्वाति विद्वानों एवं समयसार-रसिकोंके पास भेजकर उनका समा- और अकलंक जैसे महान प्राचार्योंके द्वारा प्रतिपादित धान चाहा अथवा इस गाथाका टीकादिके रूपमें ऐसा अथवा संसूचित जिनशासनसे क्या कुछ भिन्न है। स्पष्टीकरण मांगा जिससे उन शंकाओंका पूरा समाधान (9) यदि भिन्न नहीं है तो इन सबके द्वारा प्रतिपादित एवं होकर गाथाका विषय स्पष्ट और विशद हो जाए । परन्तु संसूचित जिनशासनके साथ उसकी संगति कैसे कहींसे कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुभा। दो एक विद्वानोंसे बैठती है? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.527320
Book TitleAnekant 1953 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJugalkishor Mukhtar
Publication Year1953
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size12 MB
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