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वार्षिक मूल्य ५)
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वर्ष १२ किरण ४
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विश्व तत्त्व-प्रकाशक
स
ॐ अहम
का
नीतिविरोधध्वंसी लोकव्यवहारवर्तकः सम्यक् । | परमागमस्य बीजं भुवनैकगुरुर्जयत्यनेकान्तः ॥
सम्पादक — जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर'
वीर सेवामन्दिर, १ दरियागंज, देहली
भाद्रपद वीरनि० संवत् २४७६, वि० संवत् २०१०
ज्ञानी का विचार
( कविवर द्यानतराय)
ज्ञान ऐसो ज्ञान विचारै ।
राज सम्पदा भोग भोगके, बंदी खाना धारे ॥ १ ॥ धन यौवन परिवार आपतैं, प्रोछो और निहारै दानशील तपभाव आप, ऊँचे माहिं चितारै ॥ २ ॥ दुख आए पै धीर धरै मन, सुखवैराग सम्हारै | आतम-दोष देख नित भूरे, गुन लखि गरब विडारै ॥ ३ ॥ आप बड़ाई परकी निन्दा, मुखतैं नाहि उचारै । आप दोष परगुन मुख भाषै मनतैं शल्य निवारें ॥ ४ ॥ परमारथ विधि तीन योगसौं, हिरदे हरष विथारै । और काम न करें जु करै तो, योग एक दो हार ॥ ५ ॥ ग वस्तु को सोचै नाहीं, आगम चिन्ता जारै । वर्तमान वर्तै विवेकसौं, ममता-बुद्धि विसारै ॥ ६ ॥ बालपने विद्या अभ्यास, जोवन तप विस्तारै । वृद्धपने संन्यास लेयके, आतम काज सँभारै ॥ ७ ॥ छहों दर नव तत्व माहि तैं, चेतन सार निहारै । 'द्यानत' मगन सदा निज माहीं. आप तरे पर तारै ॥ ८ ॥
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वस्तु तत्त्व-संद्योतक
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mikla
एक किरण का मूल्य | )
सितम्बर
१६५३
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