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________________ मकानत एकनाकर्षन्ती श्लथयन्ती वस्तुतत्त्वमितरोग । अन्तेन जयति जैनी नीतिर्मन्धाननेत्रमिव गोपी॥ गुणमुरब्य विधि-दृष्टि उभयानुभय-दृष्टि अनेकान्तर्यात्मका निपधाऽनुभय-होष्ट दावार उभयानुभय। विधेयन तत्त्व वादिनी तत्व निषेध-दृष्टि Saini निषेध्यानुभव तत्त्व अनेकान्तात्मक वस्तुतत्त्व नियेध्य तत्त्व विध्यनुभयष्टि उभय-दृष्टि (क्रमार्पिता) प्र अनुमय दृष्टि सहार्पिना) .PDESDC उभयतत्त्वः विधयानुभय। । तत्व यापक्षा रातभरारुपान (५) अनुभय. तत्त्व ६४० साम्यवस्था विधेयं वार्य चाऽनुभयमुभयं मिश्रमपि तद्विशेषैः प्रत्येक नियमविषयैश्याऽपरिमितैः। सदाऽन्योऽन्यापेक्षः सकलभुवनज्येषगुरुणा त्वया गीतं तत्त्वं बहुनय-धिवक्षतरवशात् ।। क्रिय रहता.
SR No.527268
Book TitleAnekant 1949 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJugalkishor Mukhtar
Publication Year1949
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size12 MB
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