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अनेका
भाद्रपद, संवत् २००५ :: सितम्बर, सन् १६४८
वर्ष 8
प्रधान सम्पादक
जुगलकिशोर मुख्तार
सह सम्पादक
मुनि कान्तिसागर
'दरबारीलाल न्यायाचार्य अयोध्याप्रसाद गोयलीय डालमियानगर (विहार)
Faraar faara
जीवनकी औ' धनकी,
आशा जिनके सदा लगी रहती ।
विधिका विधान सारा,
उनहीके अर्थ होता है ॥
२
विधि क्या कर सकता है,
उनका जिनकी निराशता आशा ?
भय - काम-वश न होकर, जगमें स्वाधीन रहते जो ॥
'युगवी'
1170
किरण &
सञ्चालक-व्यवस्थापक
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
-००-०००
संस्थापक-प्रवर्तक वीरसेवामन्दिर, सरसावा