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विषय-सूची लेख नाम १ निष्ठुर कवि और विधाताकी भूल (कविता)-[कवि भूधरदास २ जीरापल्ली-पार्श्वनाथ-स्तोत्र-[सम्पादक ३ समन्तभद्र भारतीके कुछ नमूने (युक्त्यनुशासन)-[सम्पादक ४ स्मरण शक्ति बढ़ानेका अचूक उपाय-वसन्तलाल वर्मा ५ जीवका स्वभाव-[श्रीजुगलकिशोर काराजी ६ कर्म और उसका कार्य-[पं० फूलचन्द सिद्धान्त शास्त्री ..... ७ जैन पुरातन अवशेष (विहङ्गावलोकन)-[स० मुनिकान्तिसागर ८ वैशाली (एक समस्या)-[स० मुनिकान्तिसागर.......... ह दान-विचार-[श्रीक्षुल्लक गणेशप्रसादजी वर्णी १० मुरारमें वीरशासन-जयन्तीका महत्वपूर्ण उत्सव-[पं० दरबारीलाल ११ भाषण-[श्रीक्षुल्लक गणेशप्रसादजी वर्णी १२ सम्पादकीय-[अयोध्याप्रसाद गोयलीय : : मुनिकान्तिसागर १३ पाकिस्तानी पत्र-[गुलामहुसैन कसरा मिनहास ।
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वीरसेवामन्दिरको दस हजारका
प्रशंसनीय दान
श्रीमान् बाबू नन्दलालजी सरावगी सुपुत्र सेठ ता० २८ जुलाई सन् १९४८ को आप वीरसेवामन्दिरके रामजीवनजी सरावगी कलकत्ताके शुम नामसे अने- दर्शनार्थ सरसावा तशरीफ लाये थे-तीन दिन ठहरे कान्तके पाठक भले प्रकार परिचित हैं। आप कल- थे। वीरसेवामन्दिर और उसकी लायब्रेरीको पहली कत्ताके सुप्रसिद्ध बाबू छोटेलालजी जैनके छोटे भाई ही बार देखकर आपने अपनी बड़ी प्रसन्नता व्यक्त हैं और अच्छे दानशील हैं। आप चुपचाप अनेक की और जब आपके सामने वे ग्रन्थ आए जो वीरमार्गोंसे अनेक प्रकारका दान किया करते हैं। वीर- सेवामन्दिर-द्वारा तय्यार किये गये हैं और प्रकाशनकी सेवामन्दिर और उनके कार्योंके प्रति आपका बड़ा प्रेम बाट जोह रहे हैं तब आपने बड़ी उदारताके साथ है और आप उसे कितनी ही सहायता भेजते तथा उनके शीघ्र प्रकाशनार्थ दस हजार रुपयेकी रकम पुत्र-पत्नी श्रादिकी ओरसे भिजवाते रहे हैं। हालमें प्रदान की। इस उदार और प्रशंसनीय दानके लिये
आप वीरशासन-जयन्तीके उत्सवपर अपनी पत्नी आपको जितना भी धन्यवाद दिया जाय वह सब श्रीमती कमलाबाईजी और लघुपुत्र चिरञ्जीव निर्मल- थोड़ा है। इसके लिये यह संस्था आपकी चिरऋणी कुमार-सहित मुरार (ग्वालियर) पधारे थे । वहाँसे रहेगी। मुझे साथ लेकर श्रीमहावीरजोकी यात्रा करते हुए
जुगलकिशोर मुख्तार
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