SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वार्षिक मूल्य ५) वर्ष ९ किरण ४ विश्व तत्त्व-प्रकाशक Jain Education International ॐ 자 नीतिविरोधध्वंसी लोकव्यवहारवर्तकः सम्यक् । परमागमस्य बीजं भुवनैकगुरुर्जयत्यनेकान्तः ॥ शीतरितु जो रैं अंग सब ही सकोरेँ तहाँ— तनको न मोरेँ नदीधोरैं धीर जे खरे । जेठकी झकोरैं जहाँ अंडा चील छोरै पशुपंछी छाँह लोरेँ गिरि कोरें तप वे धरे ॥ घोर घनघोर घटा चहूँ श्रोर डोरैं ज्यों-ज्योंचलत हिलोरें त्यों-त्यों फोरें बल ये अरे देह- नेह तो परमारथसौ प्रीति जोरें ऐसे गुरु ओर हम हाथ अंजली करे | 1 — कवि भूधरदास वीर सेवामन्दिर ( समन्तभद्राश्रम ), सरसावा, जिला सहारनपुर चैत्र शुक्ल, वीरनिर्वाण - संवत् २४७४, विक्रम संवत् २००५ जैन तपस्वी वस्तु तत्त्व-संघोतक For Personal & Private Use Only BQJQJÓJC.. प्रीषमकी ऋतुमाहिं जल थल सूख जाहि परत प्रचंड धूप आगिसी बरत है । दावाकीसी ज्वाल - माल वहत बयार प्रति लागत लपट कोऊ धीर न धरत है ॥ धरती तपत मानों तवासी तपाय राखी बडवानल - सम शैल जो जरत है । ताके श्रृंग शिलापर जोर जुग पाँव धर तपस्या मुनि करम हरत करत 11 - कवि भगवतीदास एक किरणका मूल्य || अप्रैल १९४८ www.jainelibrary.org
SR No.527254
Book TitleAnekant 1948 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJugalkishor Mukhtar
Publication Year1948
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy