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१९ यशोधरचरित—दयासुन्दर कायस्थ (संभवतः पद्मनाम हों) ।
२० यशोधरचरित—देवेन्द्र (संभवत: पीछे उल्लिखित श्वे० रासका कर्ता हो ? ) २१ यशोधरचरित -सोमसेन
अनेकान्त
अपभ्रंश
१ जसहरचरिउ – A पुष्पदंत शाके ८९४ (अपूर्ण प्रति हमारे संग्रह में उपलब्ध)
B गंधर्व पूरित ३ प्रकरण ।
२ जसहरचरिउ - हरिषेण (अनुपलब्ध) ।
३ जसहर चरिउ – श्रमर कीर्ति (अनुपलब्ध) | हिन्दी
१ यशोधरचरित्र - गौरवदास सं० १५८१ फफौंद २ यशोधरचरित्र - गरीबदास सं० १६०० अजमेर ( प्रति हमारे संग्रह में है ) ।
३ यशोधर चरित्र - खुशालचन्द्र काला सं० १७९१ सांगानेर |
४ यशोधरचरित्र - परिहानन्द
५ यशोधरचरित्र - भूरजी अग्रवाल ।
६ यशोधर चरित्र - मनमोद अग्रवाल
७ यशोधरचरित्र - पन्नालाल चौधरी (२०वीं श०) Amrata नंदराम (१९०४ के लगभग)
९ यशोधरचरित्र वचनिका - लक्ष्मीदास | गुजराती
१ यशोधररास - ब्र० जिनदास (सं० १५२० लगभग) २ यशोधररास– सोमकीर्ति (सं० १६००, पंचायती मन्दिर, देहली) ।
कन्नड
१ यशोधर चरित्र - चन्दप्प [ चन्दन] वर्णी (श्लोक ३५००) ।
आधुनिक हिन्दी में वादिराज के चरित्रका हिन्दी सार उदयलाल काशलीवाल लिखित जैन साहित्य प्रसारक कार्यालय, बम्बई से प्रकाशित होनेका उल्लेख पूर्व किया जाचुका है। माननीय प्रेमीजीकी सूचना - नुसार सहारनपुर के जैनीलालजीने भी यशोधरचरित्र ( भाषा) छपवाया था, सुर अब नहीं मिलता। दि०
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[ वर्ष ९
जैन पुस्तकालय सूरत से गुजराती में १९ पेजका १८ प्रकरणात्मक यशोधरचरित प्रकाशित है ।. श्वेताम्बर साहित्य—
संस्कृत
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यशोधरचरित्र - देवसूरि [प्र० ३५० ] ( सम्भव है दि० श्रीदेवकी पंजिका हो) । यशोधरचरित्र - माणिक्यसूरि
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यशोधर चरित्र - हेमकुंजर (सं० १६०७ पूर्व ) यशोधरचरित्र - पद्मसागर (उ. जैन सा. सं. इं.) यशोधरचरित्र - ज्ञानदास लोंका (सं० १६२३) ६ यशोधरचरित्र - क्षमाकल्याण (सं० १९३९ जैसलमेर )
गुजराती-राजस्थानी
यशोधररास - (सं० १५७३) देवगिरि यशोधररास - ज्ञान (सम्भव है उपर्युक्त ज्ञानदास वाला ही हो) ।
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यशोधररास - मनोहरदास ( विजयगच्छ ) (सं० १८७६ श्रा० ० ६ दशपुर)
४ यशोधर रास - नयसुन्दर
११८ पो० व०
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१ गु० ) ।
यशोधररास – जयनिधान (सं० १६४३ )
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६ यशोधररास - देवेन्द्र (सं० १६३८). ७ यशोधररास - उदयरत्न (सं० १७६७ पो० शु० ५ पाटण) (माणिक्यसूरिके चरित्रके आधारपर ) यशोधररास - जिनहर्ष (सं० १७४७ वै० व०८ पाटण) 1
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यशोधरराम - विमलकीर्ति (सं० १६६५ विजय दशमी अमृतसर) |
अन्य ग्रन्थान्तर्गत
समराइञ्चकहा - प्रा० हरिभद्रसूरि (८वीं)
समराइच्च कहा-संक्षेप, प्रद्युम्नसूरि (सं० १३२४) समराइच्चकहा- क्षमाकल्याण, सुमति वर्द्धन उपदेशप्रासाद - विजयलक्ष्मीसूरि (१९वीं श० ) जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास में हरिभद्रसूरिजी स्वतन्त्र यशोधरचरित्रका भी उल्लेख है पर वह सम्भव कम ही है ।
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