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________________ क्रान्तिकारी ऐतिहासिक पुस्तकें __[ ले० अयोध्याप्रसाद गोयलीय ] १. राजपूतानेके जैनवीर अतीत गौरवके एक अंशका चित्र अंकित हुए बिना पढ़ने के लिये हाथ भरके कलेजेकी जरूरत न रहेगा । ऐसा कौन अभागा भारतवासी होगा है। मर्दोकी बात जाने दीजिये भीरु और कायर जो अयोध्याप्रसादजी गोयलीयकी लिखी भारतकी भी इसे पढ़ते पढ़ते मूंछों पर ताव न देने लगें तो करीब साढ़े बाईस सौ वर्ष पुरानी इस सारगर्भित हमारा जिम्मा। राजपूतानेमें जैनवीरोंकी तलवार मार और सच्ची गौरव-गाथाको सुनकर उत्सहित न कैसी चमकी ? जैनवीरोंने सरसे कफन बान्धकर होगा।' पृष्ठ १७३ मू० छह आना। आतताइयोंके घुटने क्योंकर टिकवाये । धर्म और ३. हमारा उत्थान और पतनदेशके लिये कैसे कैसे अभतपर्व बलिदान किये, “चान्द" के शब्दोंमें-"इस पुस्तकमें महाभारत यही सब रोमांचकारी ऐतिहासिक विवरण ३५२ से लेकर सन् १२०० ईस्वी तकके भारतीय इतिहास पृष्ठोंमें पढ़िये । सचित्र, मूल्य केवल दो रुपया। पर एक दृष्टि डाली गई है। भारतवासियोंके चारि- । त्रमें जो त्रुटियां उत्पन्न हो गई थीं और जिनके २. मौर्य-साम्राज्य के जैनवीर कारण उनको विदेशियोंके सन्मुख पदानत होना भूमिका-लेखक साहित्याचार्य प्रो० विश्वेश्वर. पड़ा उन पर मार्मिकताके साथ विचार किया गया नाथ रेउके शब्दोंमें-"इस पुस्तककी भाषा मनको है। पस्तक पठनीय है और अत्यन्त सुलभ मूल्यमें फड़काने वाली, युक्तियाँ सप्रमाण और ग्राह्य तथा बेची जाती है ।" "विश्वामित्र" लिखता हैविचारशैली साम्प्रदायिकतासे रहित समयोपयोगी "पुस्तककी भाषा सजीव और दृष्टिकोण सुन्दर और उच्च है । हमें पूर्ण विश्वास है कि इसे एक है। यह काफी उपयोगी पुस्तक है।", "भारत" कहता - बार आद्योपान्त पढ़ लेनेसे केवल जैनोंके ही नहीं है-“लेखककी लेखनीमें ओज और प्रवाह पर्याप्त प्रत्युत भारतवासी शात्रके हृतपटपर अपने देशके मात्रामें है।" पृ० १४४ मूल्य छह पाना । स्फूर्तिदायक जीवनज्योति जगाने वाली पुस्तकें ४. अहिंसा और कायरता मू•एक श्राना ७. क्या जैन समाज ज़िन्दा है ? मू०एक आना ५. हमारी कायरताके कारण , ८. गौरव-गाथा ६. विश्वप्रेम सेवाधर्म , ६. जैन-समाजका हास क्यों ? "छह पैसा ___ यदि यह पुस्तकें आपने नहीं देखी हैं तो आज ही मंगाइये, मन्दिरों, पुस्तकालयों साधुओं को भेटस्वरूप दीजिये, उपहारमें बाटिये । जैनेतरों में बांटिये ।' व्यवस्थापक-हिन्दी विद्यामन्दिर, पो० बो० २०४८, न्यू देहली।
SR No.527165
Book TitleAnekant 1940 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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