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________________ वर्ष ३, किरण ८-१] जैनागमोंमें समय-गणना उतने कालका एक सूक्ष्म उद्धार पल्योपम होता है। प्रति समय अपहरण करते हुए जितना समय लगे उसे ३ व्यवहार श्रद्धापल्योपमः-उपरोक्त कुएँको सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम कहते हैं । व्यवहारिक उद्धारके उपर्युक्त विधिसे भरकर दबे हुए दश क्रोडाकोड़ी पल्योपमका एक सागरोपम होता है। केशखण्डोंमें एक एक केशको सौ सौ वर्षों बाद निकाले पल्योपमके ६ भेदोंके अनुसार सागरोपमके भी ६ भेद जाने पर जब कुंश्रा खाली हो जाय तब उतने समयको हो सकते हैं । ऐसे दश क्रोड़ा फोड़ी सूक्ष्म अद्धा सागरोव्यवहारिक श्रद्धापल्योपम कहते हैं। . पमोंकी १ उत्सपिणी या १ अवसर्पिणी होती है । इन ४ सूक्ष्म श्रद्धापल्योपमः-पूर्वोक्त कुएँ को १ दोनोंको मिलाने से अर्थात् २० कोडाकोड़ी सागरोपमका दिनसे ७ दिन के बढ़े हुए केशोंके असंख्य टुकड़े करके एक काल चक्र होता है । इससे अधिक समयको अनंत पर्ववत् विधिसे दबा कर भर दिया जाय और फिर सौ काल कहते हैं । सौ वर्ष अनन्तर एक एक केशखंड निकाला जाय। इस प्रकार जैनागमोंमें वर्णित समयगणनाका जितने कालमें वह कुश्रा खाली हो जाय, उतने काल संक्षेपसे निरुपण किया गया है । यह निरुपण अनुयोगद्वार को सूक्ष्म अद्धापल्योपम कहते हैं। सूत्र एवं जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति के आधारसे लिखा गया है। ___ ५ व्यवहार क्षेत्र पल्योपम-व्यवहार उद्धार जो कि मूल एवं सपांग ग्रंथ माने जाते हैं ज्योतिष-करंड पल्योपमके केशयोंने जितने अाकाश प्रदेशको स्पर्श पयन्ना और अन्य बाद के ग्रन्थों में इस निरुपणसे कुछ किया है, उतने आकाश प्रदेशोंमेंसे एक एकको प्रति तारतम्य भी पाया जाता है, पर लेख विस्तारके भयसे समयमें अपहरण करने में जितना काल लगे उसे व्यव- उसकी आलोचना यहाँ नहीं की गई । विशेष जाननेके हारिक क्षेत्र पल्योपम कहते हैं (आकाशके प्रदेश केश- इच्छुक जिज्ञासुओंको 'लोकप्रकाश' एवं अर्हतदर्शनखण्डोंसे भी अधिक सूक्ष्म हैं। दीपिकादि ग्रन्थ देखने चाहिये । जैनागमोंमें वर्णित ६ सूक्ष्मक्षेत्रपल्योपमः-सूक्ष्म उद्धार पल्योपमके समय गणनाकी बौद्ध एवं वैदिक प्राचीन साहित्यसे केश खण्डोंसे जितने आकाश प्रदेशोंका स्पर्श हुश्रा हो तुलना करना आवश्यक है। आशा है साहित्यप्रेमी और जिनका स्पर्श न भी हुआ हो,उनमेंसे प्रत्येक प्रदेशसे इस ओर प्रयत्नशील होंगे ।
SR No.527163
Book TitleAnekant 1940 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages80
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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