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________________ वर्ष ३, विरण ५] जातियाँ किस प्रकार जीवित रहती हैं? मठ और टोल, अखबार-ये सब ज़रिये व्यर्थ हैं, अगर का सहारा है, जिन्होंने धर्म और सत्यका पालन किया कोई आदमी हमारे सामने उदाहरणके रूप में न हो। है। इतिहास इन महात्माओंके जीवनचरित्रका नाम ये सब मसाला तो तेल-बत्तीकी तरह है। एक आदमी है। इसलिए इतिहासपर जातीय अस्तित्व अवलम्बित का जीवन ही आग है, जिससे रोशनी फैलती है । यह है। दो बड़े सिद्धान्त जिनसे यह सच्चाई प्रमाणकी हद सारा सामान बारातकी टीम-टाम है । दूल्हा तो वह तक पहुँचती है, हमें याद रखने आवश्यक है। महापुरुष है जिसके प्रत्येक कामसे हज़ार शिक्षाएँ पहला हैमिलती हैं। जिसकी प्रत्येक बात जादूका असर रखती "जातीय आचरण की महत्ता" है; जिसका नाम समय यदि घिस-घिसकर भी मिटावे तो इतिहासकी पट्टीसे नहीं मिटेगा; जिसकी तस्वीर हर छोटी जातियां जिनके पास धन न हो, न हथियार, दिल में रहेगी चाहे लोग और सब कुछ भूल जायँ। केवल आचरण में उच्च होने के कारण बई। जातियोंकी नैतिक उन्नतिपर मुल्की, दुनियावी और हर तरहकी दौलत और शक्ति छीन सकती हैं। आचरण ही मनुष्यों उन्नतिका दारमदार है । अगर जातिके आदमी लालची, के जीवनको सफल करता है और हमारी मानुषिक डरपोक और स्वार्थी हैं, तो वह जाति अवश्य नष्ट शक्तियोंको उन्नति करनेका अवसर देता है। जिस जाति होगी, चाहे प्रत्येक गाँवमें पार्लियामेंट ( राजसभा) के पास अाज सद्गुण मौजूद नहीं हैं, किन्तु दुर्ग हैं, बन जाय और दुनियाँ भरके अधिकार उन्हें दान कर मन्दिर हैं, खज़ाने हैं, तोप हैं, तो समझ लो कि वह । यदि जातिका आचरण. ठीक है तो प्रत्येक जाति उस मकानकी तरह है, जो खोखली नींव पर दशामें वह प्रसन्न रहेगी, चाहे कोई भी सभा या खड़ा है। उसके मन्दिर गिराए जायँगे और उनकी इंटों समाज या जल से न होते हों । अतः इतिहाससे हम में उसके बच्चे चने जायँगे, उसके ख़ज़ाने लटे जायेंगे उन महात्माओंके वचन सुनते हैं, जिनके जीवनकी और उसके शत्रुओंको मालामाल करेंगे, उसकी तो यादके बिना, मोटी मोटी किताबें चाहे वे कितनी ही उसीका नाश करनेके लिए काममें लाई जायँगी और प्राचीन क्यों न हो; गम्भीर प्रश्न जो नारदजीकी सम- उसके घरों की ओर उनके मुँह किये जायेंगे। इसके विपझमें भी न पावें; मीठे भजन जिनको सुनते सुनते रीत यदि जाति में अच्छे गुण हैं, तो बह न केवल लोग आनन्द मग्न हो जायें; बड़ी कॉन्फरेन्सें (सभाएँ) अपनी रक्षा कर सकेगी, बल्कि दूसरोंको सहायता भी जिनमें भारतवर्षका प्रत्येक परिवार तक प्रतिनिधि भेज देगी। उसकी ओर कोई आँख उठाकर भी न देख दे; कॉलेज जिनकी छत पासमानसे बातें करती हों; सकेगा। उसके सरका बाल तक बाँका न होगा। व्याख्यान जिनको सुनने सरस्वती भी उतर आवे; सम उसकी मर्यादा बढ़ेगा। उसके खेत हरे-भरे रहेंगे और चार पत्र जिनका प्रचार हर गाँवमें हो, बिल्कुल बेकार उससे ईर्ष्या करनेवालोंका मुंह काला होगा। दूसरा हैं। ये सब चीज़ किसी जातिको नहीं उठा सकतीं। सिद्धान्त हैइतिहास मनुष्योंसे हमारा परिचय कराता है और इस कारण हमारा सबसे बड़ा शिक्षक है, इतिहास सन्तोंकी ___"नैतिक उन्नतिके लिए जीवनकी उपमा की आवश्यकता समाधि है। केवल समाधि चुप होती है । इतिहास उनकी हर बातका राग गाता है। समाधि शक्ल आचरण तो करनेकी विद्या है, कहनेकी तो बात दिखाती है, किन्तु इतिहास प्रत्येक वचन और कार्य, ही नहीं है। जर्मनीके प्रसिद्ध कवि गेटेने कहा है कि प्रत्येककी आदत और प्रकृतिपर प्रकाश डालता है। तुम्हारा प्रति दिवसका जीवन अत्यन्त शिक्षा जनक अतः जातीय आचरणपर जातीय अस्तित्व अव- पुस्तकसे अधिक उपदेश दे सकता है। प्रत्येक मनुष्यका लम्बित है। जातीय आचरण उन आदमियोंके जीवन बर्ताव ऐसा होना चाहिए कि वह स्वयं मूर्तिमान शास्त्र
SR No.527160
Book TitleAnekant 1940 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size10 MB
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