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re+ [ ले०-श्री माईदयाल जैन, बी.ए.(आनर्स) बी.टी.
बढ़े चलो । बढ़ते चलना उन्नति तथा प्रगतिकी उसपर पूरा प्रभुत्व तथा अधिकार जमानो । 'पागे दौड़
निशानी है । जो बढ़ता नहीं, वह धीरे धीरे अव- पीछे चौड़' वाली कहावत मत करो। नहीं तो, वर्षोंका नति करता है । इसलिए बढ़े चलो।
काम पलमें मलियामेट हो जायेगा। ___ बढ़े चलो। सर्वाङ्गरूपसे बढ़ो । शारीरिक, आर्थिक, बढ़े चलो । दूसरों के अनुभवोंसे लाभ उठाते हुए, नैतिक, मानसिक, आध्यात्मिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय अरोंकी गलतियोंको छोड़ते हुए , तथा उनकी अच्छी आदि सभी दिशाओंमें बराबर बढ़ते चलो। किसी अंग . बातोंको अपनाते हुए बढ़ो । किन्तु मौलिकरूपसे बढ़ना को भूल जाना उतनी ही मात्रामें पीछे रहना है। कुछ निराली ही शान रखता है । दूसरोंका मार्ग,सम्भव
बढ़े चलो। व्यक्तिगतरूपसे बढ़ो और सामूहिकरूप- है, अापके अनुकूल न पड़े। संसारमें कोई भी दो से बढ़ो । कुटुम्ब, गली, शहर, देश तथा विश्व के जीवों आदमी समानरूपसे नहीं बढ़े । प्रत्येक अपने ढंगसे को बढ़ाते हुए, साथ लेते हुए चलो। नहीं तो वे अपना मार्ग बनाकर बढ़ा है। तुम भी किसी नए मार्ग आपको पीछे खींचलेंगे। आत्मकल्याण तथा परमार्थ से ही बढ़ो तो अधिक अच्छा है। करते हुए बढ़े चलो।
__बढ़े चलो। बढ़ने के जो साधन हैं, सबका उप___ बढ़े चलो। सात्विकरूपसे बढ़ो । न्याय तथा धर्म- योग करते हुए बढ़ो। जो साधन आज तक बने हैं, मार्गपर चलते हुए बढ़ो। दूसरोंको कुचलकर, किसीको उन्हें इस्तेमाल करो । तुम्हें कोई नए साधन सूझ पड़ें, पीछे धकेलकर, बढ़े हुओंको नीचे गिराकर या अन्या- उन्हें बनायो और उपयोग में लायो । साधन सच्चे तथा यसे मत बढ़ो।
न्याययुक्त होने चाहिएँ । किंतु साधनोंमें फंसकर बढ़ने ____बढ़े चलो । प्रतिक्षण, प्रतिदिन और प्रतिवर्ष बढ़ते को मत भूल जाओ। ही चलो। इस जीवन में बढ़ो, दूसरे जीवनमें बढ़ो और बढ़े चलो। बढ़ कर घमण्ड, मद तथा अभिमान जीवनान्तरमें बढ़ो।
मत करो । बढ़े हुए फलदार वृक्ष के समान नम्र बनकर ___ बढ़े चलो ! आपके मार्ग में जो संकट, विपत्तियाँ झुककर, दूसरोंको लाभ पहुँचायो । वरना जो बढ़े नहीं तथा जो रुकावटें श्राएँ, उनको जीतते हुए बढे चलो। हैं. वे तुमसे ईर्षा करेंगे और शायद तुम्हें हानि पहुँचावें बिना संकटों तथा विपत्तियोंका सामना किए, बढनेकी बढ़े चलो। बढ़नेकी सीमा नहीं है । भिखारीसे सच्ची क्षमता प्राप्त भी नहीं होती। ठोकरें खाकर ही भगवान् , सिपाही से कमाण्डर, हिस्सेदारसे डायरेक्टर, आदमी चलना सीखता है। इसलिए संकटोंसे मत घब- साधारण अादमीसे किसी प्रजातंत्र शासन के प्रधान राओ, उनका स्वागत करो और बढ़े चलो। मंत्री या सभापति, अनुयायीसे परमात्मा बन सकते हो।
बढ़े चलो। यदि बढ़ते हुए आवश्यकता हो तो इसलिए संतुष्ट होकर न बैठते हुए, बढ़े चलो।। पीछे हटने में मत झिजको । किन्तु लक्ष्य-भ्रष्ट मत हो। बढ़े चलो। बढ़ने में दूसरोंकी सहायता मिले, तो पीछे हटकर भी आगे ही बढ़ो।
उसका स्वागत करो, उससे लाभ ठाश्रो । परन्तु ____बढ़े चलो। बढ़नेकी-योजना ( स्कीम ) बनालो। दूसरोंकी सहायताकी प्रतिक्षा न करो और न परावलम्बी फिर उसके अनुसार इस प्रकार बढ़ते चलो, जैसे सेना- बनो । अपने पैरों पर खड़े होकर स्वयं चलते हुए बढ़ो। पतिकी योजनाके अनुसार सेना बढ़ती है और इंजिनी- बढ़े चलो। सोश्रो मत । सोच विचारमें समय मत यरकी योजना ( नकशे) के अनुसार मकान बढ़ता है। गँवाअो । तुम्हारे साथी, तुमसे आगे बढ़े जा रहे हैं,
बढ़े चलो । ठोस तथा स्थायीरूपसे बढ़ो । जो कदम तुम पीछे क्यों हो, इसलिए उठो और आगे बढ़े चलो। पड़े दृढ़ हो । आगे बढ़नेसे पहिले, जो प्राप्त किया है