SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 11. नैतिक शिक्षा, भाग 1-7, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर, प्रथम संस्करण, 1983 आदि अद्यतन सात संस्करण प्रकाशित। 12. प्रतिष्ठा प्रदीप,वीर निर्वाण ग्रंथ प्रकाशन समिति, इन्दौर, प्रथम संस्करण, 1990, द्वितीय संस्करण, 1998 13. आत्मधर्म - समाजधर्म, श्री जवरचन्द फूलचन्द गोधा ग्रंथमाला, इन्दौर, प्रथम संस्करण, 1994 14. धर्म, श्री जवरचन्द फूलचन्द गोधा ग्रंथमाला, इन्दौर, 1996 15. जैन संस्कार विधि, श्री वीर निर्वाण ग्रंथ प्रकाशन समिति, इन्दौर, प्रथम संस्करण, जनवरी 1998 16. मूलसंघ और उसका प्राचीन साहित्य, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर प्रथम संस्करण, 1999 I.S.B.N. - 81-86933 - 14-X 17. प्राग्वैदिक - प्रागैतिहासिक जैन धर्म और उसके सिद्धान्त, दिसम्बर सेल युवक संघ, इन्दौर, प्रथम संस्करण, 2001 18. आत्मा से परमात्मा का विज्ञान (प्रकाशनाधीन) इसके अतिरिक्त हिन्दी जैन साहित्य तथा पावागिरि इतिहास शीर्षक पुस्तकों की रचना का श्रेय भी पं. जी को दिया जाता है। किन्तु हमें ये पुस्तकें देखने का सौभाग्य नहीं मिला। क्रमांक 2 एवं 9 पर इंगित पुस्तकों में पं. जी का नाम लेखक के रूप में अंकित नहीं है। किन्तु परिजनों एवं बुजुर्गों ने बताया कि ये पं. जी की कृतियां हैं। नाम न देना पं. जी की निस्पृहता का प्रतीक है। आपकी इन साहित्यिक एवं सामाजिक सेवाओं हेतु आपको प्रतिष्ठा दिवाकर, संहितासूरि, जैन सिद्धान्तमहोदधि, सिद्धान्ताचार्य, श्रुतयोगी आदि उपाधियों से विभूषित किया गया। आपकी निष्पृह सेवाओं हेतु विभिन्न स्थानों पर सम्मानित किया गया। इनमें से कुछ प्रमुख सम्मान निम्नवत् हैं - 1951 - अ.भा. दि. जैन महासभा द्वारा हिन्दी जैन साहित्य के लेखन हेतु। 1952 - मोदी नगर उ.प्र. में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के अवसर पर 'प्रतिष्ठा दिवाकर' की उपाधि। 1974 - वीर निर्वाण भारती द्वारा तत्कालीन उपराष्ट्रपति महामहिम डॉ. वी.डी. जत्ती के कर कमलों से सम्मानित एवं 'जैन सिद्धान्ताचार्य' की उपाधि से विभूषित । 1974 - दिगम्बर जैन समाज दिल्ली द्वारा तत्कालीन उद्योग मंत्री डॉ. शंकर दयाल शर्मा जी के कर कमलों से सम्मानित। 1978 - दिगम्बर जैन समाज इन्दौर द्वारा 5 जन को 50विद्वानों की उपस्थिति में सम्मान। 1981 - तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानी जैलसिंहजी के कर कमलों से श्रवणबेलगोला में सम्मानित। 1993 - कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ द्वारा प्रतिष्ठा प्रदीप ग्रंथ पर प्रथम कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। 1995 - दिल्ली में गांधीनाथारंग जी दिगम्बर जैन जनमंगल प्रतिष्ठान, सोलापुर द्वारा राष्ट्रसंत आचार्य श्री विद्यानन्दजी महाराज की उपस्थिति में कुन्दकुन्द पुरस्कार से सम्मानित एवं 'श्रुतयोगी' अर्हत् वचन, 19 (3), 2007 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526575
Book TitleArhat Vachan 2007 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2007
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy