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________________ देवदारु लघु स्निग्धं तिक्तोष्णं कटुपाकि च । विबन्धाध्मानशोथामतन्द्राहिक्काज्वरास्रजित् । प्रमेहपीनसश्लेष्मकासकन्डू समीरनुत् ॥25॥ भा. प्र.नि., पृ. 196 देवदारु - लघु, स्निग्ध, तिक्त, रसयुक्त, उष्णवीर्य, विपाक में कटुरसयुक्त एवं बिवंध, आध्मान, शोथ, आम, तन्द्रा, हिचकी, ज्वर, रक्तदोष, प्रमेह, पीनस, कफ, खांसी, खुजली तथा वायु को नष्ट करने वाला होता है । 24 भगवान महावीर ऋजुकूलानदीतीरे मनोहरवनान्तरे । महारत्नशिलापट्टेप्रतिमायोगमावसन् ॥13491 स्थित्या षष्ठोपवासेन सोऽधस्तात्सालभूरूहः । वैशाखे मासि सज्योत्स्नदशम्याम पराह्वके ॥13501 उत्तर पुराण, पृ. - 466 भगवान ऋजुकूला नदी के किनारे मनोहर नामक वन के मध्य में रत्नमयी एक बड़ी शिला पर सालवृक्ष के नीचे बेला का नियम लेकर प्रतिमा योग से विराजमान हुये। शाल वृक्ष शालस्तु सर्जकार्याश्वकर्णकाः शस्यशम्बरः । भा. प्र. नि., पृ. 520 शाल, सर्ज, कार्य, अश्वकर्णक और शत्यशम्बर ये साल के संस्कृत नाम हैं। लेटिन नाम Shorea Robusta Gaertn. Fam. Dipterocarpaceae है । शाल के वृक्ष बहुत बड़े विशाल होते हैं। ये हिमालय पहाड़, सतलज नदी से आसाम तक, मध्य हिन्दुस्तान के पूर्वीभाग, बंगाल के पश्चिमी भाग और छोटा नागपुर के जंगलों में होते हैं। अश्वकर्णः कषायः स्याद्वणस्वेदकफ क्रिमीन । ब्रध्नविद्रधिबाधिर्ययोनिकर्णगदान् हरेत |119|| भा. प्र. नि., , पृ. 520 साल कषाय रसयुक्त एवं व्रण, स्वेद, कफ, कृमि, ब्रध्न, विद्रधि, बहरापन एवं योनि तथा कर्ण संबंधी रोग को दूर करने वाला है। संदर्भ ग्रंथ : 1. आदिपुराण भाग-एक, आचार्य जिनसेन, संपादक एवं अनुवाद - डॉ. पन्नालाल जैन, प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, पाँचवा संस्करण, 1996 उत्तर पुराण आचार्य गुणभद्र, संपादन एवं अनुवाद पं. पन्नालाल जैन साहित्याचार्य, प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, चौथा संस्करण, 1993 श्री चौबीसी पुराण पं. पन्नालाल जैन साहित्याचार्य जैन साहित्य सदन, चांदनी चौक, दिल्ली प्रतिष्ठा रत्नाकर, पं. गुलाबचंद्र 'पुष्प', प्रीतविहार जैन समाज (पंजी), दिल्ली-92, प्रथम संस्करण कल्पद्रुम विधान, कविवर राजमल पवैया, प्रकाशक-अखिल भारतीय जैन युवा फेडरेशन, जयपुर 2001 स्मारिका पंचकल्याणक प्रतिष्ठा, आयोजन और प्रयोजन मुनि समतासागर प्रकाशक - श्री नेमिनाथ जिनेन्द्र पंचकल्याणक समिति, भोपाल 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. - भावप्रकाश निघण्टु, गंगा सहाय पाण्डेय, कृष्णचंद्र चुनेकर चौखम्बा भारतीय अकादमी, वाराणसी, पुनर्मुद्रित 2004 राज निघण्टु श्री मन्नरहरि पंडित, हिन्दी व्याख्याकार इन्द्रदेव त्रिपाठी, कृष्णदास अकादमी, चौखम्बा प्रेस, वाराणसी, संस्करण - 1982 वन विधि संग्रह, डॉ. राधेश्याम द्विवेदी, सुविधा लॉ हाउस प्रा. लि., भोपाल जैन तत्व विद्या, मुनि प्रमाणसागर, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, सांतवाँ संस्करण 9. 10. प्राप्त: 10.05.06 22 Jain Education International . For Private & Personal Use Only अर्हत् वचन, 19 (3), 2007 www.jainelibrary.org
SR No.526575
Book TitleArhat Vachan 2007 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2007
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size7 MB
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