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________________ पश्चिम दिशा - चंपक चैत्य तरु उत्तर दिशा - आम्रवन चैत्य तरु कल्पवृक्ष भूमि - चारों दिशाओं में सिद्धार्थवृक्ष पर जिन प्रतिमाजी हैं। कल्पवृक्ष - 1. पानांग, 2. तूर्यांग, 3. भूषणांग, 4. वस्त्रांग, 5. भोजनांग, 6. आलयांग, 7. दीपांग, 8. भाजनांग,9. मालांग, 10. तेजांग। इसी भूमि में सिद्धार्थ वन हैं - सिद्धार्थ वन : आग्नेय दिशा - मेरु भूप तरु नैऋत्य दिशा - मंदार भूप तरु वायव्य दिशा - संतानक भूप तरु ईशान दिशा - पारिजात भूप तरु जिस वन में जाकर तीर्थंकरों ने दीक्षा ली उसे दीक्षावन तथा जिस वृक्ष के नीचे दीक्षा धारण करते हैं उसे दीक्षा वृक्ष कहते हैं। चौबीस तीर्थंकरों के दीक्षावन निम्नानुसार हैं - 1. आदिनाथ (सिद्धार्थ), 2. अजितनाथ (सहेतुक), 3. सम्भवनाथ (सहेतुक), 4. अभिनन्दन नाथ (उग्रवन), 5. सुमतिनाथ (सहेतुक), 6. पद्मप्रभ (मनोहर), 7. सुपार्श्वनाथ (सहेतुक), 8. चंद्रप्रभ (सर्वर्तुक/सर्वार्थ), 9. पुष्पदंत (पुष्प/पुष्पक), 10. शीतलनाथ (सहेतुक), 11. श्रेयांसनाथ (मनोहर), 12. वासुपूज्य (मनोहर), 13. विमलनाथ (सहेतुक), 14. अनन्तनाथ (सहेतुक), 15. धर्मनाथ (शालि/शाल), 16. शांतिनाथ (आम/सहस्राम्र), 17. कुंथुनाथ (सहेतुक), 18. अरहनाथ (सहेतुक), 19. मल्लिनाथ (शालि तथा प्रतिष्ठा रत्नाकर तथा चौबीसी पुराण में श्वेतवन),20. मुनिसुव्रत (नीलवन), 21. नमिनाथ (चैत्रवन/ चित्रवन), 22. नेमिनाथ (सहस्राम), 23. पार्श्वनाथ (अश्वत्थवन/अश्ववन), 24. महावीर (षण्डवन तथा प्रतिष्ठा रत्नाकर में ज्ञातृ (नाथ) वन)। तीर्थंकरों ने जिस वृक्ष के नीचे केवलज्ञान प्राप्त किया उस वृक्ष को कैवल्य वृक्ष कहा गया है। विभिन्न ग्रंथों में दिये गये वृक्षों को निम्न तालिका में दर्शाया गया है। क्रं. तीर्थंकर उत्तर पुराण चौबीसी पुराण भाषावचनिका प्रतिष्ठा पंच कल्याणक रत्नाकर प्रतिष्ठा आदिनाथ जैन तत्वविद्या वट न्यग्रोध 2. अजितनाथ सप्तपर्ण सप्तपर्ण सप्तपर्ण सप्तच्छद सप्तपर्ण (छतिवन) 3. सम्भवनाथ शाल्मलि शाल शाल साल शाल्मलि (सेमर) 4. अभिनन्दननाथ असन शाल सरल साल असन (बीजक) 5. सुमतिनाथ प्रियंगु प्रियंगु प्रियंगु प्रियंगु प्रियंगु 6. पद्मप्रभ -- प्रियंगु प्रियंगु सुपार्श्वनाथ शिरीष शिरीष शिरीष श्रीखंड शिरीष (सिरस) 8. चंद्रप्रभ नागवृक्ष नाग नागवृक्ष/ नागवृक्ष नाग नागकेशर अर्हत् वचन, 19 (3), 2007 प्रियंगु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526575
Book TitleArhat Vachan 2007 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2007
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size7 MB
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