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________________ है, खुशी इस बात की हुई कि उस सुदूर स्थल पर रखी हुई यह पाण्डुलिपि, जो पता नहीं कब दीमकों का आहार बन जाती और किसी को पता भी नहीं चलता, उसे बचाया जा सका। वहीं से सुदूर अंचल में स्थित एक और ग्राम सुनवाहा पहुँचने पर हमें 16 पाण्डुलिपियाँ प्राप्त हुईं। इन प्रशिक्षणार्थियों के समर्पण, लगन, निष्ठा की सभी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। डॉ. मेहरा ने इन प्रशिक्षुओं को अपना आशीर्वाद देते हुए कहा कि पाण्डुलिपि सूचीकरण का कार्य इन सदृश युवाओं के समर्पण से ही सम्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि मैं शासन के प्रतिनिधि के रूप में यहाँ उपस्थित हूँ और इस काम में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आने दूंगा । कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ द्वारा इस परियोजना के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्य प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय हैं। डॉ. प्रमोद मेहरा ने कहा कि "डॉ. अनुपम जैन की ही योग्यता का ही परिणाम है कि वे हमारे अधिकारियों को अपनी क्षमता से प्रभावित कर सके और इतने अच्छे ढंग से बात रखी कि यह प्रोजेक्ट आपको मिल गया। अन्यथा देश में जैन परियोजनाओं पर चर्चा तो अवश्य हुई किन्तु परिणाम प्राप्त नहीं हुआ। " 21 सितम्बर 2003 को भी प्रशिक्षणार्थियों ने अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया। प्रो. ए. ए. अब्बासी (पूर्व कुलपति देवी अहिल्या वि.वि., इन्दौर), प्रो. नलिन के. शास्त्री (कुलसचिव इन्द्रप्रस्थ वि.वि., नई दिल्ली), प्रो. सुरेशचन्द्र अग्रवाल ( प्राध्यापक - गणित, चौधरी चरणसिंह वि.वि., मेरठ), डॉ. एन. पी. जैन ( पूर्व राजदूत), डॉ. प्रकाशचन्द जैन, श्री सूरजमल बोबरा ( निदेशक ज्ञानोदय फाउण्डेशन, इन्दौर), डॉ. जे. पी. विद्यालंकार (निदेशक- भोगीलाल लहेरचन्द जैन इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी, दिल्ली), श्री हीरालाल जैन (अध्यक्ष- सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर), श्री प्रशान्त जैन (श्री देवकुमार जैन प्राच्य विद्या शोध संस्थान, आरा), प्रो. ललिताम्बा (संकायाध्यक्ष मानविकी संकाय), प्रो. पी. एन. मिश्र (निदेशक आई.एम.एस.), श्री प्रदीप कासलीवाल (अध्यक्ष- दि. जैन महासमिति ट्रस्ट), श्री माणिकचन्द पाटनी (महामंत्री- दि. जैन महासमिति ट्रस्ट), श्रीमती विमला कासलीवाल (मंत्री - कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ परीक्षा संस्थान), श्री अशोक बड़जात्या (राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग. जैन महासमिति), श्री हसमुख गांधी (राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री दि. जैन महासमिति), श्री रमेश कासलीवाल (सम्पादक - वीर निकलंक), प्रो. राजमल जैन (अन्तरिक्ष वैज्ञानिक - अहमदाबाद), डॉ. एस. ए. भुवनेन्द्रकुमार कनाड़ा (सम्पादक- जिनमंजरी), श्रीमती मीना जैन ( पुस्तकालयाध्यक्ष - शासकीय महाविद्यालय, सिहोरा) आदि विभिन्न सत्रों में उपस्थित रहे तथा इन्होंने सक्रिय मार्गदर्शन उपलब्ध कराया। यह शिविर सभी दृष्टियों में अत्यन्त सफल रहा। संयोजन में श्री जयसेन जैन, श्री अरविन्दकुमार जैन एवं डॉ. सुशीला सालगिया का सहयोग प्रशंसनीय रहा। इन प्रशिक्षण शिविरों में निम्न प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया - - 1. श्रीमती ललिता सेठी, इन्दौर 2. ब्र. आरती जैन, फिरोजाबाद 3. श्री राकेश जैन, इन्दौर 4. श्री चक्रेश जैन 5. पं. राजेन्द्र जैन, उज्जैन 6. श्री सतीश जैन, इन्दौर 7. श्री धीरेन्द्रकुमार जैन, इन्दौर 8. श्री सचिनकुमार जैन, इन्दौर 9. श्री सन्देश जैन, इन्दौर अर्हत् वचन, 15 ( 4 ), 2003 Jain Education International 10. श्री नवीनकुमार वर्मा, इन्दौर 11. कु. वन्दना शर्मा, इन्दौर 12. श्री मुकेश जैन, इन्दौर 13. श्रीमती मनीषा जैन, इन्दौर 14. कु. रूचि जैन, इन्दौर 15. कु. दीपिका जैन, इन्दौर 16. कु. नूपुर श्रीमाल, इन्दौर 17. कु. पायल श्रीमाल, इन्दौर 18. श्री विजयकुमार जैन, इन्दौर - For Private & Personal Use Only 85 www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
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