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________________ 1. डॉ. प्रमोद मेहरा, उपनिदेशक, राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली। 2. ब्र. संदीप जैन 'सरल', अध्यक्ष, अनेकान्त ज्ञान मन्दिर (शोध संस्थान), बीना 3. डॉ. संजीव सराफ, पुस्तकालयाध्यक्ष, शासकीय महाविद्यालय, पथरिया जिला सागर डॉ. महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज', शोधाधिकारी, सिरिभूवलय परियोजना, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर 5. ब्र. रजनी जैन, शोध छात्रा, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर 19 सितम्बर 2003 को शिविर का उद्घाटन पूर्व राजदूत डॉ. एन. पी. जैन, इन्दौर की अध्यक्षता में तथा देवी अहिल्या वि.वि., इन्दौर की मानविकी संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. ललिताम्बा के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। सत्र का संयोजन ब्र. रजनी जैन, इन्दौर ने किया। शिविर के अन्य सत्र 19 सितम्बर 2003 को अपरान्ह 4.00 बजे, रात्रि 8.00 बजे, 20 सितम्बर 2003 को प्रात: 9.00 बजे, 11.00 बजे, मध्यान्ह 2.30 बजे, सायंकाल 4.00 बजे एवं रात्रि 8.00 बजे सम्पन्न हए। 20 सितम्बर को ग्रन्थ भंडार के व्यवस्थापन पर डॉ. अनुपम जैन ने व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया। 21 सितम्बर को प्रात: पांडुलिपि संरक्षण पर डॉ. प्रमोद मेहरा का विशेष व्याख्यान हुआ। जैनापोडुलिपियो राष्ट्रीयपंडी पांडलिपिसूयीकरण प्रशिक्षण शिविर कुन्दकुन्दनपीठ भंडार के व्यवस्थापन पर अनुदेश देते डॉ. अनुपम जैन (इन्दौर)। इन सत्रों में दृश्य - श्रव्य उपकरणों की मदद से तथा विशेष पाण्डलिपियों के माध्यम से सूचीकरण का प्रशिक्षण सूक्ष्मता से दिया गया। प्रशिक्षणार्थियों ने प्रायोगिक सत्रों के माध्यम से सूचीकरण का गहन प्रशिक्षण तो लिया ही, गत 6 माहों में प्राप्त ज्ञान को परस्पर वितरित करते हुए आगत समस्याओं का विशेषज्ञों से समाधान भी प्राप्त किया। राष्ट्रीय अभिलेखागार के उपनिदेशक तथा पाण्डुलिपियों के संरक्षण एवं सूचीकरण में अनेक वर्षों से जुड़े समर्पित विद्वान डॉ. प्रमोद मेहरा की उपस्थिति में प्रशिक्षणार्थियों द्वारा व्यक्त विचारों में उनके समर्पण को देखकर अनेक श्रावकों की तो अश्रुधारा बह निकली। चि. सचिन जैन ने जब भाव विभोर होकर कहा कि मैं अपने चार साथियों के साथ बुन्देलखण्ड के कई स्थानों पर गया। बंडा जाने में वर्षा के बीच हमें 8 कि.मी. पैदल चलना पड़ा। जब वहाँ हमें एक पाण्डुलिपि मिली तो हम सबको बहुत प्रसन्नता हुई। प्रश्न संख्या का नहीं 84 अर्हत् वचन, 15 (4), 2003 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
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