SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सन्दर्भ ग्रन्थ -- 1. भारतीय इतिहास एक दृष्टि, डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली 2 आदि पुराण, आचार्य जिनसेन, भाग -2, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली 3. हिन्दु सभ्यता, राधाकुमुदमुखर्जी, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली 4. ग्वालियर कलम, लक्ष्मण भांड 5. जैनेन्द्र सिद्धांत कोश, भाग 2, जिनेन्द्र वर्णी, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली 6. हरिवंशपुराण, आचार्य जिनसेन, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली 7. तिलोयपण्णती, यतिवृषभ (भाग 2), भा. दि. जैन महासभा, कोटा 8. मानक हिन्दी कोश, तीसरा खंड, रामचन्द्र वर्मा, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, दिल्ली 9. हड़प्पा सभ्यता और वैदिक साहित्य, भगवान सिंह 10. जैन धर्म व कला प्राण ऋषभ, शैलेन्द्रकुमार रस्तोगी. अप्रकाशित पाण्डलिपि ऋग्वेद की मनचाही व्याख्याओं और बहुदेव वाद् ने इतिहास के मार्ग को जहाँ प्रशस्त किया वहां उसे अपारदर्शी भी बना दिया। ऋग्वेद पूर्व में सुसंस्कृत भारतवासी थे ही नहीं ऐसी मान्यता वर्षों तथाकथित विद्वानों के मन में बनी रही जबकि सिंधु सभ्यता के अनावृत्त होते ही इसके प्रबल प्रमाण सामने आ गये कि एक अधिक बुद्धिमान - कार्यकुशल समाज का अस्तित्व ऋगवेद की रचनाओं के पूर्व था। इस बात के अभी प्रमाण नहीं मिले हैं कि ज्ञात सिंधु सभ्यता के पूर्व भारतवासियों . का जीवन कैसा था? यदि केवल ऋग्वेदीय समाज के सभ्य होने का अहंकार सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों ने तोड़ा है तो जिस सभ्यता ने सिंधु घाटी सभ्यता को जन्म दिया उसे नकारना नरवंश के इतिहास को नकारने के समान होगा। विद्याधर जाति, मातंगवंश व नागवंश तो केवल आधार है। इक्ष्वाकुवंश की समस्त उपधाराओं को ढूंढ लिए बिना यह कार्य सुदृढ़ आधार नहीं पा सकेगा। इस कार्य को जारी रखने में जितने भी डाक्टरेट हेतु इतिहास शोध हुए हैं उन्हें अंतिम प्रमाण न मानकर सहयोगी माना जाय तो श्रेयस्कर होगा। इतिहास की पुनर्व्याख्या प्रारंभ हो चुकी है और किसी परिणाम पर पहुंचने के लिए अभी समय लग सकता है। बहुत से उपलब्ध संदर्भ गलत निर्णय पर पहुंचा रहे हैं अत: उनसे निर्णय पर पहुँचने के पूर्व जैन संदर्भो की कसौटी पर उन्हें कसा जाना चाहिए। सन्दर्भ स्थल 1. आदिपुराण, आचार्य जिनसेन, पर्व क्र. 19, गाथा 91-192. 2. धवला, 9/4.1.18/70/90. 3. त्रिलोकसार, गाथा 709. 4. हरिवंशपुराण, 2, श्लोक 22-28. 5. मानक हिन्दी कोश, तीसरा खण्ड, पृ. 232 - 233. 6. ग्वालियर कलम पृ. 11, पेरा 1. 7. धवला, गाथा 13/5, 5/140/391/7. 8. हड़प्पा संस्कृति और वैदिक साहित्य पृ. 62, लेखक - भगवान सिंह 9. वही, पृ. 63. प्राप्त - 02.08.02 40 अर्हत् वचन, 15 (4), 2003 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy