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________________ कुण्डलपुर महोत्सव तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ का अधिवेशन सम्पन्न परमपूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से भगवान महावीर की परम्परामान्य एवं आगमसम्मत जन्मभूमि कुण्डलपुर में पर्यटन मंत्रालय - बिहार सरकार तथा कुण्डलपुर दिगम्बर जैन समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कुण्डलपुर महोत्सव के अन्तर्गत तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ की कार्यकारिणी एवं साधारण सभा की बैठक दिनांक 8.10.2003 को सम्पन्न हुई जिसमें देश के 40 मूर्धन्य विद्वान सम्मिलित हुए। वर्ष 2003 हेतु विद्वत् महासंघ पुरस्कारों की घोषणा के साथ ही यह निर्णय भी लिया गया कि शास्त्री परिषद के यशस्वी अध्यक्ष प्राचार्य श्री नरेन्द्रप्रकाश जैन के 25-26 दिसम्बर 2003 को कोलकाता में होने वाले अभिनन्दन समारोह में महासंघ का एक दल सम्मिलित हो तथा महासंघ की ओर से भी उनका अभिनन्दन किया जाये। इस अवसर पर महासंघ की कार्यकारिणी की बैठक 25.12.03 की रात्रि में कोलकाता में आयोजित की जायेगी। अहिंसा, शाकाहार एवं तीर्थकर जन्मभूमियों पर प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन (फिरोजाबाद), डॉ. शेखरचन्द्र जैन (अहमदाबाद), पं. शिवचरनलाल जैन (मैनपुरी), डॉ. अनुपम जैन (इन्दौर). डॉ. मालती जैन (मैनपुरी) आदि के संबोधन हुए। तीर्थकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ के नैमित्तिक अधिवेशन में अखिल भा. दि. जैन शास्त्री परिषद के यशस्वी अध्यक्ष प्राचार्य श्री नरेन्द्रप्रकाश जैन (फिरोजाबाद) ने अपने श्री अनिलकुमार जैन (कमल मन्दिर, दिल्ली) एवं श्री अजयकुमार जैन (आरा) प्रभावपूर्ण वक्तव्य में कहा कि तीर्थक्षेत्र कमेटी का कर्तव्य तो यह है कि वह अपने मन्दिरों व धर्मायतनों इत्यादि का संरक्षण, संवर्द्धन करे न कि प्राचीन काल से मान्यता प्राप्त तीर्थ के विषय में यह निश्चित करे कि कौनसी भूमि तीर्थ है अथवा नहीं है। वास्तव में कुण्डलपुर (नालंदा) के परमाणुओं में ही वह आकर्षण शक्ति है जिसके कारण देश भर के श्रद्धालु प्राचीनकाल से महावीर जन्मभूमि की वन्दना करने हेतु यहाँ पधारते रहे हैं और अब इसी आकर्षण के कारण पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी ने मात्र कुछ ही माह में यहाँ पाँच मन्दिरों का भव्य तीर्थ समाज को प्रदान कर दिया है। विद्वत महासंघ के महामंत्री डॉ. अनुपम जैन ने महासंघा की नीतियों, प्राथमिकताओं, विगत वर्षों की उपलब्धियों एवं भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। पं. शिवचरनलाल जैन (मैनपुरी) ने कहा कि कुण्डलपुर भगवान महावीर की जन्मभूमि है, यह बात तो पहले से ही पूरी तरह सिद्ध है, अब तो हमें इसके विकास के प्रति जाग्रत होना है। सभा का सफल संचालन किया डॉ. अनुपम जैन (इन्दौर) ने। अधिवेशन की अध्यक्षता विद्वत् महासंघ के अध्यक्ष डॉ. शेखरचन्द्र जैन (अहमदाबाद) ने की। क्षेत्रीय विधायक श्री श्रवणकुमारजी (नालन्दा) विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे। अर्हत् वचन, 15 (4), 2003 109 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
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