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________________ कुण्डलपुर महोत्सव जम्बूद्वीप पुरस्कार - 2003 एवं आर्यिका रत्नमती पुरस्कार - 2002 एवं 2003 __ भगवान महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर में कुण्डलपुर दिगम्बर जैन समिति तथा पर्यटन मंत्रालय - बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में प्रथम बार आयोजित कुण्डलपुर महोत्सव के अन्तर्गत परमपूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी के ससंघ सान्निध्य में 9 अक्टूबर 2003 को पुरस्कार समर्पण समारोह आयोजित किया गया, जिसमें दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर द्वारा प्रदान किये जाने वाले वार्षिक पुरस्कार समर्पित किये गये। जम्बूद्वीप पुरस्कार - वर्ष 2000 से प्रारम्भ किये गये इस पुरस्कार के अन्तर्गत रु. 25,000/ की धनराशि, शाल, श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। वर्ष 2000 का पुरस्कार इंजी. के. सी. जैन (मेरठ), वर्ष 2001 का प्रसिद्ध ज्योतिषी पं. धनराज जैन (अमीनगर सराय), वर्ष 2002 का डॉ. शेखरचन्द्र जैन, (अहमदाबाद) को प्रदान किया जा चुका है। वर्ष 2003 का पुरस्कार अहिंसा एवं शाकाहार हेतु समर्पित विद्वान एवं दिशा बोध मासिक पत्रिका के सम्पादक डॉ. चीरंजीलाल बगड़ा (कोलकाता) को नालंदा उच्च अध्ययन संस्थान के निदेशक श्री पन्त के मुख्य आतिथ्य में संस्थान के पदाधिकारियों द्वारा प्रदान किया गया। सभा में तीर्थकर ऋषभदेव जैन विद्वत महासंघ के अनेक विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता एवं श्रेष्ठीगण उपस्थित थे। इस अवसर पर दि. जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर के अध्यक्ष कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्रकुमारजी जैन ने कहा कि जीवदया के कार्यों से प्रेरित होकर हजारों बूचड़खानों को बन्द कराने जैसे अहिंसक कार्यों के लिये संस्थान डॉ. बगड़ाजी को हरसंभव सहयोग करेगा। प्रज्ञाश्रमणी डॉ. चीरंजीलाल बगड़ा को सम्मानित करते हुए दि. जैन त्रिलोक शोध संस्थान - हस्तिनापुर आर्यिका श्री के पदाधिकारीगण चन्दनापती माताजी के आव्हान तथा डॉ. बगड़ाजी के राष्ट्रव्यापी अहिंसा आन्दोलन में अपना आर्थिक सहयोग देने की मार्मिक अपील पर सभा में उपस्थित सर्वश्री लाला महावीरप्रसादजी (संघपति), लाला प्रेमचन्दजी (दिल्ली), लाला श्रीपालदासजी (दिल्ली), श्री कमलचन्दजी जैन (खारी बावली, दिल्ली), श्री अनिलकुमारजी जैन (प्रीतविहार, दिल्ली), श्री कन्हैयालालजी सेठी (औरंगाबाद), श्री बालचन्दजी छाबड़ा (गया), श्री अशोकजी जैन (बाराबंकी), श्री सूरजमल बोबरा (ज्ञानोदय फाउण्डेशन- इन्दौर), महिला समाज (हजारीबाग), महिला समाज (गया). पं. शिवचरनलाल जैन (मैनपुरी) एवं अन्य अनेक उपस्थित महानुभावों ने अहिंसा, जीवदया एवं शाकाहार के प्रचार-प्रसार में अपना आर्थिक सहयोग प्रदान किया। अर्हत् वचन, 15 (4), 2003 105 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
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