SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ टिप्पणी-7 अर्हत् वचन (कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर) जूना कैलोद करताल की जैन प्रतिमाएँ - नरेशकुमार पाठक* ग्राम लोद करताल इन्दौर जिले की इन्दौर तहसील में स्थित है। वह 220-380 अक्षांस व 75% - 52° पूर्वी देशान्तर पर अवस्थित हैं, समुद्र की सतह से ऊँचाई 2345 फीट है। इस ग्राम के पूर्व बस्ती जूना कैलोद करताल है। कहा जाता है यहाँ पहले कैलोद करताल गाँव था जो बिलावली तालाब के निर्माण के बाद इस स्थान से स्थानान्तरित कर दिया गया। यह तेजाजी नगर (खंडवा रोड़) से आधा कि.मी. दूरी पर व बिलावली तालाब की बाहरी सीमा पर स्थित है। यहाँ स्थित टीले पर मुगल - मराठा कालीन मृदभाण्ड, गन्ने का रस निकालने का कोलू, हनुमान मन्दिर है जिसमें हनुमान की प्रतिमा दो शिवलिंग युक्त जलाधारी एवं नन्दी प्रतिमा है। मंदिर के सामने मराठा कालीन जैन मन्दिर है, यहाँ खण्डहरों से प्राप्त प्रतिमाएँ हनुमान मन्दिर के बायें पार्श्व में, हनुमान मन्दिर के सामने, हनुमान मन्दिर के पास पीपल के वृक्ष के नीचे एवं सती के चबूतरे के पीछे रखी हैं जिनमें से जैन प्रतिमाओं का विवरण निम्न प्रकार है - आदिनाथ प्रतिमा पादपीठ - यह प्रतिमा हनुमान मन्दिर के बायें पार्श्व में रखी है। तीर्थंकर आदिनाथ प्रतिमा के पादपीठ पर विपरीत दिशा में मुख किये दोनों ओर सिंह एवं गजों का अंकन है। मध्य में चक्र का आलेख है। पादपीठ के नीचे के भाग में प्रथम तीर्थकर आदिनाथ का ध्वज लांछन नन्दी (वषभ) का अंकन है। बैसाल्ट पत्थर पर निर्मित 85 x 44 x 36 से. मी. आकार की प्रतिमा लगभग 12 वीं शती ईस्वी की हैं। तीर्थंकर - यह प्रतिमा हनुमान मन्दिर के पास पीपल वृक्ष के नीचे रखी है। लांछन मुद्रा में बैठे तीर्थंकर सिर पर कुन्तलित केश, लम्बे कर्ण चाप, अलंकृत प्रभामंडप एवं श्रीवत्स से अलंकत है। वितान में मालाधारी विद्याधर अंकित हैं, विद्याधर केश, कण्डल. दोवली हार व वलय आदि आभूषण धारण किये हुए हैं। पादपीठ पर दोनों ओर चंवरधारी खड़े हैं जो एक हाथ में चंवर एवं एक हाथ में कटयावलम्बित है। चंवरधारी करण्ड मुकुट, कुण्डल, दोवलीहार, यज्ञोपवीत, वलय व मेखला धारण किये हैं। बलुआ पत्थर पर निर्मित 71 x 46 x 33 से.मी. आकार की प्रतिमा लगभग 12 वीं शती ई. की प्रतीत होती है। तीर्थंकर - यह प्रतिमा सती के चबूतरे के पीछे रखी है। लांछन विहीन तीर्थंकर पद्मासन में बैठी हुई प्रतिमा दो खण्डों में है। तीर्थंकर के सिर पर कुन्तलित केश, लम्बे कर्ण चाप, वक्ष पर श्रीवत्स का अंकन है। वितान में मकर तोरण का अंकन है। बैसाल्ट पत्थर पर निर्मित 56 x 25 x 26 से.मी. आकार की प्रतिमा लगभग 14 वीं शती ई. की प्रतीत होती है। तीर्थंकर का उर्ध्वभाग - यह प्रतिमा हनुमान मन्दिर के पास पीपल के पेड़ के नीचे रखी है। तीर्थंकर प्रतिमा के उर्ध्वभाग में तीर्थकर का कमर से ऊपर का भाग है। तीर्थंकर के सिर पर कुन्तलित केश, लम्बे कर्णचाप एवं श्रीवत्स का अंकन है। वितान में कीर्तिमुख नीकर सीकर का भाग एवं मकर तोरण का अंकन सुन्दर है, बैसाल्ट पत्थर पर निर्मित जैन पनिमा वितान अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 91 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526559
Book TitleArhat Vachan 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy