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12. डॉ. गणेश कावड़िया : देवी अहिल्या वि.वि. इन्दौर में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक, सम्प्रति समाज विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता, पूर्व में मोहनलाल सुखाड़िया वि.वि., उदयपुर में कार्यरत रहे । कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ निदेशक मंडल के सदस्य।
13. श्री मन्मथ पाटनी : M.Sc, M.Tech. प्रेस्टीज उद्योग समूह में जनरल मैनेजर आदि के अनेक दायित्वपूर्ण पदों पर कार्य करने के उपरान्त सम्प्रति प्रेस्टीज ग्रुप में वाइस प्रेसीडेन्ट पद पर कार्यरत, फूड टेक्नालॉजी के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त । अर्हत् वचन में विगत वर्षों में अनेक टिप्पणियाँ प्रकाशित ।
14.
श्री सुरेश जैन 'मारोरा : M.Sc. (Botany), सम्प्रति शिवपुरी में वरिष्ठ उद्यान अधिकारी के पद पर कार्यरत । अहिंसक कृषि एवं तीर्थों पर फलदार वृक्षों के रोपण में विशेष रूचि, अनेक लेखों के लेखक ।
15. डॉ. (ब्र.) स्नेहरानी जैन : M.Sc., Ph.D. उपाधि प्राप्त, डॉ. हरिसिंह गौर वि.वि., सागर के फार्मेसी विभाग में वर्षों तक सेवाएँ देने के पश्चात रीडर पद से सेवानिवृत्त, अनेक लेखों की लेखिका, अर्हत् वचन सम्पादक मंडल की 1999, 2000 में
सदस्य ।
16. डॉ. नरेन्द्रनाथ सचदेव : Ph.D. (Economics) सामाजिक-आर्थिक चिन्तन तथा राजनीति विज्ञान में विशेष अभिरूचि, प्रसिद्ध व्यवसायी भवन निर्माता एवं चिन्तक, नगर की अनेक संस्थाओं से सम्बद्ध ।
17. डॉ. राजमल जैन भारत सरकार के अन्तरिक्ष विभाग में वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर कार्यरत, सम्प्रति राष्ट्रीय भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद में अंतरिक्ष अनुसंधान से सम्बद्ध अनेक अन्तर्राष्ट्रीय परियोजनाओं के समन्वयक, जैन धर्म दर्शन के वैज्ञानिक पक्ष के प्रकटीकरण हेतु सतत सचेष्ट, अर्हत् वचन पुरस्कार (2001) से सम्मानित ।
18. डॉ. नन्दलाल जैन मध्यप्रदेश शासकीय महाविद्यालयीन शिक्षा सेवा के अन्तर्गत शासकीय महाविद्यालय, रींवा से प्राध्यापक- रसायन शास्त्र के पद से सेवानिवृत्त, जैन केन्द्र - रींवा के निदेशक, अनेक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध पत्रों का वाचन, जैन धर्म का प्रतिनिधित्व, आर्यिका रत्नमती पुरस्कार से सम्मानित ।
19. डॉ. (श्रीमती) सरोज जैन : शासकीय कन्या महाविद्यालय, बीना में हिन्दी विभाग की अध्यक्षा, अनेक लेखों की लेखिका एवं समीक्षक । प्रसिद्ध महिला नेत्री ।
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2003
पर्यूषण पर्व आत्मशुद्धि के पुनीत पर्व दशलक्षण एवं क्षमावणी के अवसर पर हम विगत वर्ष में हुई समस्त ज्ञात/ अज्ञात भूलों हेतु क्षमाप्रार्थी हैं।
देवकुमारसिंह कासलीवाल
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डॉ. अनुपम जैन
मानद सम्पादक
अर्हत् वचन, 15 (3), 2003
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