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________________ इस अंक के लेखक श्री सूरजमल बोबरा : शैक्षणिक सामग्री के निर्माता एवं विक्रेता, प्रसिद्ध इतिहास प्रेमी, जैन विद्या विशारद, निदेशक - ज्ञानोदय फाउन्डेशन, इन्दौर, अर्हत् वचन सम्पादकीय परामर्श मंडल के सदस्य। आचार्य श्री कनकनन्दी : दिगम्बर जैन संत, गणधराचार्य श्री कुन्थुसागरजी द्वारा दीक्षित, वैज्ञानिक धर्माचार्य के रूप में विख्यात, 150 ग्रन्थों के लेखक, धर्म-दर्शन विज्ञान शोध संस्थान के प्रेरणास्रोत।। डॉ. अनिलकुमार जैन : तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग में प्रबन्धक के पद पर कार्यरत, जैन दर्शन और विज्ञान के पारस्परिक संबंधों एवं समसामयिक विषयों पर शताधिक प्रामाणिक लेख, 'पल्लीवाल जैन इतिहास' एवं 'जीवन क्या है?' सदृश पस्तकों के लेखक युवा विद्वान, भौतिक विज्ञान में Ph.D., अर्हत वचन पुरस्कार से वर्ष 1996 में पुरस्कृत। डॉ. पारसमल अग्रवाल : मूलत: विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में भौतिकी के प्राध्यापक, रसायन - भौतिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट शोध कार्य हेतु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित, अनेक शोध पत्रिकाओं में शोध लेख प्रकाशित, अर्हत् वचन सम्पादकीय परामर्श मंडल के सदस्य। सम्प्रति ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी, स्टिलवाटर के केमिकल - फिजिक्स समूह के सदस्य, 1990 एवं 1997 में अर्हत् वचन पुरस्कार से सम्मानित। 5. डॉ. जगदीश प्रसाद : Ph.D., D.Sc. उपाधिधारी, देश के प्रतिष्ठित मेरठ कॉलेज, मेरठ के रसायन शास्त्र विभाग में प्राध्यापक पद से सेवानिवृत्त वरिष्ठ विद्वान, शाकाहार में विशिष्ट अभिरूचि। 6. कु. रंजना सूरी : मेरठ कॉलेज, मेरठ के रसायन शास्त्र विभाग की शोध छात्रा। 7. डॉ. अजितकुमार जैन : एस. एस. एल. जैन महाविद्यालय, विदिशा में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक, 1995 में 'पौदगलिक स्कन्धों का वैज्ञानिक विश्लेषण' शीर्षक आलेख पर अर्हत् वचन पुरस्कार से सम्मानित। 8. डॉ. रमाकान्त जैन : इतिहास मनीषी डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन के सुपुत्र, शोधादर्श के सहसम्पादक, अनेक सामयिक एवं इतिहास विषयक लेखों के लेखक, उत्तरप्रदेश प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त। डॉ. पुरुषोत्तम दुबे : प्राध्यापक - हिन्दी, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, धार। साहित्य सृजन में विशिष्ट अभिरूचि, लगभग 50 आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, डॉ. अनुपमा छाजेड़ द्वारा 'जैन रामायणों में राम का स्वरूप' विषय पर आपके निर्देशन में देवी अहिल्या वि. वि., इन्दौर से Ph.D. उपाधि प्राप्त की गई। 7 शोध छात्र Ph.D. हेतु कार्यरत।। 10. डॉ. अनुपम जैन : M.Sc., M.Phil., Ph.D., देश के प्रतिष्ठित होलकर स्वशासी विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर में गणित के स. प्राध्यापक, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इन्दौर के मानद सचिव, अर्हत् वचन के मानद सम्पादक, लगभग 50 शोध आलेखों के लेखक तथा अनेक पुस्तकों, अभिनन्दन ग्रन्थों एवं पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक। ब्र. (क.) रजनी जैन : M.A. हिन्दी में देवी अहिल्या वि.वि., इन्दौर द्वारा स्वर्णपदक प्राप्त, सम्प्रति कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ केन्द्र पर पंजीयत होकर देवी अहिल्या वि.वि. से Ph.D. उपाधि हेतु कार्यरत। दि. जैन श्राविकाश्रम, इन्दौर में साधनारत। अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 135. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526559
Book TitleArhat Vachan 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size12 MB
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