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लन्दन स्थित इन्स्टीट्यूट ऑफ जैनालॉजी को 2 करोड़ का अनुदान
भारत के प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी बाजपेयीजी से जैन समाज का एक 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मिला जिसमें मुख्यतः श्री रतिलाल शाह ( अध्यक्ष - इंस्टीट्यूट ऑफ जैनालॉजी) - लन्दन, श्री विपिन जी. बी. मेहता (ट्रस्टी - इंस्टीट्यूट ऑफ जैनालॉजी) - लन्दन, श्री दीपचन्दजी गार्डी - मुम्बई, श्री नेमु चन्देरिया - लन्दन, साहू रमेशचन्दजी जैन- दिल्ली, श्री निर्मलकुमारजी सेठी - दिल्ली, श्री नेमचन्दजी खजान्ची कोबे जापान, श्री कुमारपाल देसाई अहमदाबाद, श्री संजय जैन दिल्ली, डॉ. एल. एम. सिंघवी (सांसद) - दिल्ली, श्री प्रतापजी भोगीलाल मुम्बई एवं श्री हर्षन एन. संघराजका - लन्दन
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श्री नेमूजी चन्देरिया, श्री हर्षद एन. संघराजका, श्री लक्ष्मीमलजी सिंघवी ने इस इन्स्टीट्यूट ऑफ जैनालॉजी के बारे में जानकारी दी और बताया कि अभी इस इन्स्टीट्यूट के द्वारा विदेशों में जैन धर्म के सम्बन्ध में काफी प्रचार और प्रसार किया गया है। विदेशों में, अलग-अलग देशों के पुस्तकालयों में जितने ग्रन्थ हैं, उनका सूचीकरण करने की योजना है। उन्होंने यह भी बताया कि क्षमावाणी पर्व को विशेष रूप से मनाने की योजना अगले वर्ष की है। इस इन्स्टीट्यूट ऑफ जैनालॉजी के होने से इंग्लैण्ड में तथा अन्य देशों में जैन धर्म के बारे में लोगों को काफी जानकारी प्राप्त हुई है।
विश्व के प्रतिष्ठित धर्मों में जैन धर्म का नाम आने लगा है तथा समय समय पर सर्वधर्म सम्मेलनों में प्रतिनिधित्व करने का मौका प्राप्त होता रहता है। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्रीजी से निवेदन किया कि वे संस्था के परम संरक्षक पद को स्वीकार करें। प्रधानमंत्रीजी ने इसकी स्वीकृति उसी समय दे दी।
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प्रतिनिधिमंडल के निवेदन पर प्रधानमंत्रीजी ने 2 करोड़ रुपये इस इन्स्टीट्यूट ऑफ जैनालॉजी को देने के लिये स्वीकृति दे दी जिसके लिये उन्हें धन्यवाद दिया गया। श्री हुलासचन्दजी गोलछा ने प्रधानमंत्री को नेपाल में बने भगवान महावीर के सिक्के भेंट किये।
भगवान महावीर 2500 वाँ निर्वाण महोत्सव न्यास, ग्वालियर द्वारा
भगवान ऋषभदेव जयंती स्मारक व्याख्यानमाला सम्पन्न
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30 मार्च 2003 को महावीर भवन, भगवान महावीर मार्ग कम्पू, ग्वालियर में भगवान ऋषभदेव स्मारक व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक एस. एन. सुब्बाराव, मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. (श्रीमती) कृष्णा जैन एवं अन्य वक्ताओं में डॉ. अशोक जैन, पं. केशरीचन्द्र धवल आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध इतिहासकार श्री शान्तिचन्द द्विवेदी ने की मंच पर न्यास के अध्यक्ष श्री केसरीमल गंगवाल ने अतिथियों का स्वागत किया एवं न्यास के मंत्री श्री तेजकुमार जैन ने स्वागत भाषण दिया।
मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए श्री सुब्बारावजी ने कहा कि युद्ध की विभीषिका में धधक रही मानवता को आज तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव द्वारा सुस्थापित अनेकान्त दर्शन का प्रकाश ही अमानवीयता से बचा सकता है। इस अवसर पर उन्होंने 'एक जगत की धरती माता' का सामूहिक गान भी कराया।
डॉ. कृष्णा जैन ने अपने वक्तव्य में भगवान ऋषभदेव के वैश्विक स्वरूप एवं नारी शिक्षा के आद्य संस्थापक के रूप में अपनी बात रखी एवं डॉ. अशोकजी ने भगवान ऋषभदेव के जैनेतर प्रमाणों के सन्दर्भ में चर्चा की। पं. केशरीचन्दजी 'धवल' ने मनुष्य से ईश्वरत्व प्राप्ति की भगवान की शिक्षाओं का निरूपण किया। अंत में आभार प्रदर्शन उपमंत्री राजेन्द्र बापना ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन कार्यक्रम संयोजक श्री रवीन्द्र मालव ने किया।
■ डॉ. (श्रीमती) कृष्णा जैन प्राध्यापक म.ल.बा. महाविद्यालय ग्वालियर
अर्हत् वचन, 15 (3), 2003
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