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________________ राजस्थान के राज्यपाल श्री निर्मलचन्दजी जैन का महावीर ट्रस्ट द्वारा नागरिक अभिनन्दन . महावीर ट्रस्ट के पूर्व मंत्री एवं ट्रस्टी श्री निर्मलचन्दजी जैन का राजस्थान के राज्यपाल नियुक्त होने के बाद प्रथम बार नगरागमन पर महावीर ट्रस्ट के तत्वावधान में समग्र जैन समाज एवं संस्थाओं की ओर से नागरिक अभिनन्दन किया गया। इस भव्य कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री दिग्विजयसिंहजी। महामहिम का नागरिक अभिनन्दन ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल, कार्याध्यक्ष श्री प्रदीपकुमारसिंह कासलीवाल, महामंत्री श्री कैलाशचन्द चौधरी, श्री नेमनाथ जैन एवं मुख्यमंत्री श्री दिग्विजयसिंहजी ने शाल, श्रीफल एवं अभिनन्दन पत्र भेंट कर समग्र जैन समाज की संस्थाओं की ओर से किया। श्री निर्मल द.नी जे माननीय राज्यपालजी का सम्मान करते हुए श्री प्रदीप कासलीवाल (कार्याध्यक्ष), श्री नेमनाथजी जैन (प्रसिद्ध उद्योगपति), श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल (अध्यक्ष), श्री दिग्विजयसिंहजी (मुख्यमंत्री-म.प्र.) इस अवसर पर महावीर ट्रस्ट की ओर से 11 विकलांगों को जयपुर पैर डॉ. देव पाटोदी के संयोजन में भेंट किये गये। महावीर ट्रस्ट के मुखपत्र सन्मति वाणी का विमोचन डॉ. प्रकाशचन्द्र जैन द्वारा एवं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की शोध पत्रिका अर्हत् वचन का विमोचन ज्ञानपीठ के सचिव डॉ. अनुपम जैन ने कराया। राज्यपाल श्री जैन द्वारा महावीर ट्रस्ट की ओर से रु. 51,000.00 का चेक एक गरीब जैन महिला को उसकी हृदय शल्य चिकित्सा हेतु भेंट किया गया। इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल श्री निर्मलचन्दजी जैन एवं माननीय मुख्यमंत्री श्री दिग्विजयसिंहजी ने ट्रस्ट की पारमार्थिक गतिविधियों के लिये ट्रस्ट को तथा ट्रस्ट अध्यक्ष श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल एवं महामंत्री श्री कैलाशचन्द चौधरी को सामाजिक एवं पारमार्थिक कार्यों के लिये साधुवाद दिया। उन्होंने आगे कहा कि ट्रस्ट आगे भी इसी प्रकार असहाय लोगों की मदद हेतु सदैव तत्पर रहेगा। इस अवसर पर जैन समाज की विभिन्न संस्थाओं की ओर से सर्वश्री नेमनाथ जैन, सोहनलाल पारेख, गौतम कोठारी, अजितकुमारसिंह कासलीवाल, डॉ. अनुपम जैन, सुन्दरलाल जैन बीड़ीवाले, माणकचन्द इस 118 अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.526559
Book TitleArhat Vachan 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size12 MB
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