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________________ "नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षक पहले स्वयं का आचरण अच्छा रखें तभी छात्र संस्कारित होंगे। छात्रों को उत्तीर्ण कराने हेतु हिन्ट देने वाले शिक्षक कभी आदर्श शिक्षक नहीं होते।" कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ द्वारा 14 जनवरी 2003 को आयोजित जैन शिक्षक सम्मेलन में प्रमुख अतिथि के रूप में बोलते जैन शिक्षक सम्मेलन सम्पन्न हुए मध्यभारत के पूर्व शिक्षा मंत्री (87 वर्षीय) श्री मनोहरसिंह मेहता ने उक्त उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि शिक्षक की इन्दार 14 जनवरी 2013 आयोजक:कुकुर आयोजन के प्रमुख संयोजक प्रो. नरेन्द्र धाकड़ (प्राचार्य होलकर स्वशासी विज्ञान महाविद्यालय) ने भी छात्रों के सर्वागीण विकास हेतु शिक्षकों की अहम् भूमिका प्रतिपादित की। आयोजन के विशेष अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. भरत छापरवाल थे प्रो. नलिन के. शास्त्री (कुलसचिव इन्द्रप्रस्थ वि.वि. दिल्ली), प्रो. श्रेणिक बंडी, प्रो. एम.एल. कोठारी, प्रो. गणेश कावड़िया, प्रो. उदय जैन के अतिरिक्त डॉ. सरोज कोठारी, डॉ. संगीता मेहता डॉ. जयंतीलाल भंडारी एवं डॉ. प्रकाशचंद जैन ने भी सभा को संबोधित किया। श्री मनोहरसिंह मेहता सम्बोधित करते हुए सही कसौटी छात्र ही होते हैं। इसी अवसर पर संस्था के अध्यक्ष श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल की 84 वीं जन्मतिथि पर नगर के शिक्षकों की ओर से कुलपति डॉ. भरत छापरवाल ने एवं होलकर विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व छात्र के नाते प्रो. नरेन्द्र धाकड़ ( प्राचार्य), प्रो. श्रेणिक बंडी एवं डॉ. अनुपम जैन ने उनका शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया ऐलक श्री निशंकसागरजी ने उपस्थित शिक्षक शिक्षिकाओं को आशीर्वचन दिये सभा में बड़ी संख्या में नगर के जैन शिक्षक व शिक्षिकाएँ सम्मिलित हुए। सम्मेलन की अध्यक्षता प्रो. एस.सी. अग्रवाल (मेरठ) ने की आपने कहा कि जैन शिक्षकों को आगे आकर प्रतिभाशाली शिक्षकों को मदद पहुंचानी चाहिये इसकी शुरुआत जैन समाज के बच्चों से करना श्रेयस्कर होगा । - अर्हत् वचन, 15 (3). 2003 Jain Education International - कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के मानद सचिव डॉ. अनुपम जैन ने कहा कि सम्मेलन का एक उद्देश्य जैन साहित्य के अध्ययन एवं अनुसंधान के कार्य को गति प्रदान कराना भी है जो जैन अथवा जैनेत्तर शिक्षक जैन विद्याओं के अध्ययन एवं अनुसंधान के कार्य में रूचि रखते हैं उनको एक मंच पर लाकर वि.वि. द्वारा मान्य शोध निर्देशकों एवं शोधार्थियों को परस्पर विचार विनिमय का माध्यम उपलब्ध कराना भी हमारा एक अभीष्ट है। गतिविधियाँ इस सम्मेलन में प्रो. शास्त्री, प्रो. कोठारी, प्रो. उदय जैन, प्रो. कावड़िया, प्रो. दुबे आदि अनेक विद्वान प्राध्यापक उपस्थित हैं जो जैन विद्याओं पर अनुसंधान कराने में सक्षम हैं हमें इनके ज्ञान का उपयोग करना चाहिये। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ शोध केन्द्र से औपचारिक रूप में पंजीकृत होकर हिन्दी विषय में 'जैन रामायणों में राम का स्वरूप' विषय पर प्रो. पुरूषोत्तम दुबे के निर्देशन में पी-एच.डी. प्राप्त करने वाली डॉ. अनुपमा छाजेड़ का सम्मान भी किया गया। For Private & Personal Use Only 115 www.jainelibrary.org
SR No.526559
Book TitleArhat Vachan 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size12 MB
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