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________________ हरों का कोष्ठ परिवर्तन करने पर हमें यह मिलता है 21 5 4 2 37 4 - व्यस्त त्रैराशिक त्रैराशिक का नियम बतलाने के बाद भारतीय गणितज्ञों ने लिखा है कि जब अनुपात व्यस्त हो तब त्रैराशिक की क्रिया व्यस्त रीति से करना चाहिये । 26 = श्रीधर लिखते हैं ' त्रैराशिक व्यस्त होने पर मध्य राशि को प्रथम राशि से गुणा करके अन्तिम राशि से भाग देना चाहिये ।' उदाहरण आठ-आठ मुक्ताओं वाले 20 हारों में से छह-छह मुक्ताओं वाले कितने हार बन सकते हैं? 21x4x37 5x2x4 Jain Education International न्यास 8 20 6 1 फल - हार 4 पुराण, 13 पण, 2 काकिणी और 16 वराटक । - मिश्रानुपात मिश्रानुपात को भारतीय गणित में, प्रश्न में प्रयुक्त राशियों की संख्या के अनुसार पंचराशिक, सप्तराशिक, नवराशिक इत्यादि संज्ञाएँ दी गई हैं, जो कि कभी- कभी 'बहुराशिक' संज्ञक सामान्य शीर्षक के अन्तर्गत वर्गीकृत किये गये हैं। श्रीधर ने लिखा है कि पण 'फल को एक पक्ष से दूसरे पक्ष में ले जाओ आर ( तब सब भिन्नों के) हरों का पक्ष परिवर्तन करो। इसके बाद दोनों पक्षों की राशियों को ( अलग - अलग) गुणा करो और अधिक राशियों वाले पक्ष के गुणनफल को दूसरे पक्ष की राशियों के गुणनफल से भाग दे दो। (प्राप्त लब्धि इष्ट फल है) । - उदाहरण यदि 100 (निष्क) का 1 महीने का ब्याज 5 का 1 वर्ष का ब्याज क्या होगा ? ब्याज और मूलधन के और ब्याज के ज्ञान से मूलधन भी ज्ञात करो ।” ब्याज निकालना प्रथम पक्ष है - 100 निष्क, 1 महीना, 5 निष्क (फल) द्वितीय पक्ष है - 16 निष्क, 12 महीने 21 निष्क 26 2 3 100 16 BE 5 0 दोनों पक्ष की राशियों को निम्न प्रकार से ऊर्ध्वाकार कोष्ठों में लिखते हैं (निष्क) हो, तो 16 (निष्क) ज्ञान से समय, तथा समय For Private & Personal Use Only अर्हत् वचन, 14 (23), 2002 www.jainelibrary.org
SR No.526554
Book TitleArhat Vachan 2002 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2002
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size9 MB
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