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________________ इस व्याख्यान में महाविद्यालय के प्राचार्य, गणित विभाग के अनेक प्राध्यापक - प्रो. दुबे, मैं (प्रो. श्रेणिक बंडी), प्रो. प्रमिला खाबिया तो मौजूद थे ही, महाविद्यालय के अनेक तत्कालीन शिक्षक एवं पूर्व शिक्षक भी मौजूद थे। निम्नांकित चित्र में प्रो. वी.के. निलोत्से, प्रो. आर. एन. जैन, प्रो. ए.जी. फडनीश, प्रो. राबर्ट, प्रो. धारपुरे, प्रो. उषा गुप्ता, प्रो. ढोबले, प्रो. कुमुद मिश्रा, प्रो. सक्सेना, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के यशस्वी अध्यक्ष श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल, श्री महाराजाबहादुरसिंह कासलीवाल, श्री कैलाशचन्द चौधरी एवं डॉ. अनुपम जैन (मानद सचिव) (सम्प्रति इसी महाविद्यालय में पदस्थ) दिखाई दे रहे हैं। महाविद्यालय के गणित विभाग के प्राध्यापक प्रो. महेश दुबे की भारतीय गणित एवं गणित इतिहास में प्रारम्भ से ही रूचि रही है। प्रसिद्ध जैन गणितज्ञ आचार्य महावीर पर आपके निम्न 2 शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं - 1. कवि और गणितज्ञ - महावीराचार्य, अर्हत् वचन (इन्दौर), 3(1), जनवरी 1991, 1-26. 2. Mahāvirācārya : The Poet and the Mathematician, Mathematical Spectrum (London), 1998, pp. 1-6. साथ ही वर्ष 2000 में एम.एससी. की एक छात्रा कु. रश्मि जैन को आपने प्रोजेक्ट भी लिखाई - Mahaviracarya and his Mathematical Works. महाविद्यालय के गणित विभाग में 1995 से पदस्थ डॉ. अनुपम जैन की विशेषज्ञता का क्षेत्र ही 'जैन गणित' है। 1980 में एम.फिल. प्रोजेक्ट रिपोर्ट एवं उसके पश्चात अपना शोध प्रबन्ध 'गणित के विकास में जैनाचार्यों का योगदान विषय पर प्रस्तुत कर आपने पीएच.डी. की उपाधि अर्जित की है। विभाग में पदांकन के उपरान्त आपने एम.फिल. एवं एम.एससी. की निम्न 4 प्रोजेक्ट्स हेतु निर्देशन कार्य किया - 1. योगेन्द्र शर्मा, श्रीधराचार्य, M.Phil. Project (चौधरी चरणसिंह वि.वि.), मेरठ, 1996. 2. प्रशान्त तिलवनकर, Sidharācārya, The Man & the Mathematician, 2000. 3. Swati Agnihotri, Acārya Nemicandra and his Mathematical Contribution, 2001. 4. Arti Agrawal, An Introduction to Indian Mathematics including Vedic Mathematics (to be submitted in 2003). आपने चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय में 2001 में प्रस्तुत ममता अग्रवाल के शोध प्रबन्ध का निर्देशन किया। तथा सम्प्रति श्री दिपक जाधव, श्रीमती प्रगति जैन, श्रीमती नीतू बंसल एवं श्री एन. शिवकुमार का कार्य प्रगति पर है। आप मैसूर वि.वि. (1998), भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (2001), LI.T., Kanpur (2002) आदि में भी व्याख्यान जैन गणित पर प्रस्तुत कर चुके हैं। आपके अनेक शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में महिला संगठन, इन्दौर द्वारा आयोजित संगोष्ठी (2002) में विभाग की श्रीमती कल्पना मेधावत ने 'वक्षाली हस्तलिपि - एक अनुचिन्तन शोध आलेख का वाचन भी किया जिसमें महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. नरेन्द्र धाकड़ की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। इससे स्पष्ट है कि महाविद्यालय का गणित विभाग जैन गणित के अध्ययन के विशिष्ट केन्द्र के रूप में विकसित हो रहा है। * प्राध्यापक - गणित, होल्कर स्वशासी विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर 104 अर्हत् वचन, 14(2-3), 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526554
Book TitleArhat Vachan 2002 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2002
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size9 MB
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