SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अर्हत् वच कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर टिप्पणी- 3 जैन गणित के अध्ययन का एक गतिशील केन्द्र होल्कर स्वशासी विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर अर्हत् वचन, 14 (23), 2002 10 जून 1891 में स्थापित होल्कर महाविद्यालय वर्ष 2002 में अपनी स्थापना के 111 वर्ष पूर्ण कर चुका है। इस दीर्घावधि में इस महाविद्यालय ने शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में अनेक प्रतिमान स्थापित किये हैं। सम्प्रति इस शासकीय होल्कर स्वशासी विज्ञान महाविद्यालय को मध्यप्रदेश के आदर्श, उत्कृष्ट महाविद्यालय का दर्जा प्राप्त है एवं राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा भी इसे ★★★ की श्रेणी प्रदान की गई है। Jain Education International ■ श्रेणिक बंडी महाविद्यालय के यशस्वी गणित विभाग में Special Functions क्षेत्र में तो शोध कार्य होता ही है, प्राचीन भारतीय गणित एवं गणित इतिहास के क्षेत्र में श्लाघनीय कार्य हो रहा है। 1987 में स्थापित कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ (शोध संस्थान), इन्दौर के आमंत्रण पर भारत पधारे जापान के गुन्मा विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रो. योशिमाशा चित्र में प्रो. मिचिवाकी व्याख्यान देते हुए एवं समीप उनकी पुत्री कु. मुत्सुको मिचियाकी मिचिवाकी 9 जनवरी ज्यामितीय आकृति बनाते हुई 1990 को प्रातः 11.00 बजे On the resemblence between Indian, Chinese and Japanese Mathematics पर व्याख्यान देने हेतु गणित विभाग में पधारे। इस व्याख्यान में प्राचीन भारतीय गणितज्ञों विशेषतः जैन गणितज्ञों द्वारा प्रयुक्त ज्यामितीय संरचनाओं की जापानी गणितज्ञों द्वारा प्रयुक्त ज्यामितीय संरचनाओं में साम्य की विवेचना की गई। * For Private & Personal Use Only 103 www.jainelibrary.org
SR No.526554
Book TitleArhat Vachan 2002 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2002
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy