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X
q+x
+
जहाँ
=r
(45)
प r r.q
P
इससे हम किसी भी भिन्न ( p/q) को अनेक एकांश भिन्नों में बदल सकते हैं। q में धीरे धीरे 1, 2, 3, 4, जोड़कर उतना ही बढ़ायें कि उसमें p का भाग (division ) पूरा पूरा हो जाये तथा भागफल (पूर्णांक) मिल जाये आवश्यकतानुसार नियम को दूसरे पद x/rq में फिर लगायें।
उदाहरण - 3 / 10 को एकांश भिन्नों में बदलो ।
यहाँ P से पूरा पूरा नहीं भाग चला जाता है
अतः
1
3 तथा q
कटता । फिर अर्थात् x = 2
2
=
3 1
= -
10 4 4x10
=
ध्यान देने से हम सीधे ही
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+
1
इसे ( 48 ) में रखने पर
1
= -
4
3 2+1
2
10 10
10
10
प्राप्त कर सकते हैं। इसे सूत्र ( 45 ) 8 लें तो सूत्र ( 45 )
इस प्रकार यदि x
3
8
+
(48)
10 6 6 x 10
6 15
मिलेगा। यहाँ 2/15 को एकांश भिन्नों में बदलने के लिये सूत्र ( 45 ) का फिर उपयोग
किया जा सकता है, जैसे
2 2 2
2
== +
15 16 15 16
3 1 1
1
- +
10 6 8 120
अर्हत् वचन, 14 (1), 2002
10. अब 10 में 1 जोड़ा तो 11 आया जो 3 10 में 2 जोड़ा तो 12 आया जिसमें 3 का पूरा पूरा (q+x) / p = (10+2)/3 = 4 r =
तथा ( 45 ) से
1
20
+
+
= +
1 2
1
8
से x
से हमें
2
15
5
8
1
(47)
10
5 लेकर भी प्राप्त किया जा सकता है।
=
=
*******..
1 1
8 120
*******..
(46)
(49)
इस प्रकार हम पाते हैं कि एक भिन्न ( 3 / 10 ) को अनेक प्रकार से, (46),
यदि x का मान कम से सबसे बड़ा होगा। ऊपर महावीर के लगभग 350
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(47), (49), एकांश भिन्नों में बदला जा सकता है लेकिन
कम लिया जाये तो निरूपण में पहली एकांश भिन्न का मान के उदाहरण में 1/4 का मान, 1/5 तथा 1/6 से बड़ा है वर्ष बाद यूरोप के फीबोनाट्ची के फीबोनाट्ची (Fibonacci) ने ऐसा ही किया था। सूत्र ( 45 ) की तुलना ब्रह्मगुप्त के उस नियम से की जा सकती है जो उन्होंने भागफल निकालने की दृष्टि से दिया है। (ब्राह्मस्फुट सिद्धान्त, XII 57 ).
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