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अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर
दिगम्बर जैन गणितज्ञ महावीराचार्य द्वारा संस्कृत में रचित गणितसार संग्रह एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसकी रचना राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष प्रथम के शासन में ईसवी की नवीं सदी के मध्य में दक्षिण भारत में हुई थी । अत्यन्त उपयोगी होने के कारण वल्लभ ने उसका अनुवाद कन्नड़ में और मल्लन (लगभग 1100 ई.) ने तेलुगु में किया था। गणितसार संग्रह एम. रंगाचार्य के अंग्रेजी अनुवाद के साथ मद्रास से 1912 में तथा लक्ष्मीचन्द्र जैन के हिन्दी अनुवाद के साथ 1963 में सोलापुर से ( जीवराज जैन ग्रन्थमाला नं. 12) प्रकाशित हो चुका है। अभी हाल में ही वह रंगाचार्य के अंग्रेजी अनुवाद तथा पद्मवतम्मा के कन्नड़ अनुवाद के साथ श्री होम्बुज जैन मठ द्वारा प्रकाशित हुआ है। (Hombuja, 2000).
सम्प्रति इस लेख में हम कुछ ऐसे गणित सूत्रों का विवरण प्रस्तुत करेंगे जो भारत में प्रथम बार गणितसार संग्रह ( = ग.सा.सं.) में पाये जाते हैं और जो किसी न किसी रूप में बाद में नारायण पंडित रचित गणित कौमुदी ( 1356 ई.) में मिलते हैं। विशेष सूत्र होने के कारण यह कहना कठिन होगा कि नारायण ने उन सूत्रों की स्वतंत्र रूप से रचना की होगी। ग.सा.सं. की ख्याति के कारण यह मानना उचित ही होगा कि नारायण को वह ग्रंथ ज्ञात था । कहने के लिये संभावनायें अन्य भी हैं। जैसे यह तर्क दिया जा सकता है कि महावीर और नारायण दोनों ही ने सूत्रों को किसी प्राचीन ग्रन्थ से प्राप्त किये हों। लेकिन जब तक ऐसा कोई पूर्व ग्रन्थ या महावीर का श्रेय सुरक्षित है।
स्रोत स्पष्ट रूप से सामने नहीं आता,
अब हम अपेक्षित सूत्रों की चर्चा करेंगे - (1) सामान्य तथा वक्रीय बहुभुज (Polygon)
P.
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V 2
12
12
T1
PA
P2
वर्ष 14, अंक 1, 2002, 61-70
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जैन गणित पर आधारित नारायण पंडित के कुछ सूत्र R डॉ. राधाचरण गुप्त
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चित्र 1 में बाहर से स्पर्श करते हुए ( श्लिष्ट) अनेक वृत्त हैं जिनके केन्द्र में V,, V2, V3, V4 हैं और अर्द्धव्यास 1, 2, 3, 4 हैं। केन्द्रों को मिलाने से एक सामान्य बहुभुज (Polygon) बन जाता है जिसके शीर्ष V, V2, V 3, V4 हैं। वृत्तों के अन्तरनिहित P1, P2, P3, P4 एक वक्रीय (curvilinear) बहुभुज बनता है। बहुभुज की भुजायें हैं
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(1)
V+ V2 = a = + 2 = (d, + d2)/2 V2V3=2=12+13= (d2 + d3)/2
(2)
V3V4 = a3 = 13 + F4 = (d3 + d4)/2
(3)
V4V1 = a4=r4+ 1 = (d4 + di)/2
(4)
और परिमिति (perimeter) (जिसे महावीर ने रज्जु कहा है).
चित्र 1
* गणित भारती अकादमी, आर- 20, रसबहार कॉलोनी, झाँसी - 284003 (उ.प्र.)
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