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________________ श्री गणेशप्रसाद वर्णी स्मृति साहित्य पुरस्कार श्री स्याद्वाद महाविद्यालय, भदैनी- वाराणसी की ओर से अपने संस्थापक पूज्य श्री गणेशप्रसादजी वर्णी की स्मृति में वर्ष 2000 के पुरस्कार के लिये जैनधर्म, दर्शन, सिद्धान्त, साहित्य, समाज, संस्कृति, भाषा एवं इतिहास विषयक मौलिक, सृजनात्मक, चिन्तन, अनुसंधानात्मक शास्त्रीय परम्परा युक्त कृति पर पुरस्कारार्थ 4 प्रतियाँ 31 दिसम्बर 2000 तक आमंत्रित हैं। इस पुरस्कार में रु. |- की नगद राशि तथा प्रशस्ति पत्र दिया जायेगा। 1997 के बाद की प्रकाशित पुस्तकें ही इसमें सम्मिलित की जा सकती हैं। नियमावली निम्न पते पर उपलब्ध है - डॉ. फूलचन्द जैन 'प्रेमी' संयोजक - श्री वर्णी स्मृति साहित्य पुरस्कार समिति श्री स्याद्वाद महाविद्यालय, भदैनी, वाराणसी वाग्भारती पुरस्कार हेतु नाम आमंत्रित वाग्भारती पुरस्कार-2001 हेतु 40 वर्ष तक के आर्षमार्गीय, युवा विद्वान, प्रवचनपटु, धर्म प्रभावना में संलग्न विद्वानों से/के नाम सादर आमंत्रित हैं जो दशलक्षण पर्व पर निर्लोभिता के साथ प्रवचनार्थ अवश्य जाते हों। नाम, आयु, पता, पर्व पर प्रवचनार्थ कहाँ - कहाँ गये व अन्य विवरण 31 दिसम्बर 2000 तक निम्न पते पर भेजें - वाग्भारती, द्वारा डॉ. सुशील जैन जैन क्लिनिक, सिटी पोस्ट ऑफिस के सामने, मैनपुरी-205 001 (उ.प्र.) वर्ष 1999 का पुरस्कार पं. शैलेन्द्र जैन, बीना तथा वर्ष 2000 का पुरस्कार डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती', बुरहानपुर को प्रदान किया गया था। पुरस्कार में रु. 11,000/- की नगद राशि, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह आदि भेंट किया जाता है। पं. शिवचरनलाल जैन, मैनपुरी गणिनी ज्ञानमती पुरस्कार - 2000 से सम्मानित दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर द्वारा 1995 में स्थापित पंचवर्षीय गणिनी ज्ञानमती पुरस्कार-2000 के निर्णय हेतु निम्नांकित पाँच सदस्यीय निर्णायक मंडल का गठन किया गया था - 1. ब्र. रवीन्द्रकुमार जैन, हस्तिनापुर अध्यक्ष 2. श्री अनिलकुमार जैन 'कागजी', दिल्ली समाजसेवी-प्रायोजक 3. श्री जिनेन्द्र प्रसाद जैन, 'ठेकेदार', दिल्ली समाजसेवी 4. प्रो. आर. आर. नांदगांवकर, नागपुर पूर्व कुलपति, विशिष्ट विद्वान 5. डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर निदेशक - सचिव निर्णायक मंडल की दिनांक 15.7.2000 को दिल्ली में सम्पन्न बैठक में सर्वानुमति से जैनधर्म के उद्भट वरिष्ठ विद्वान तथा दि. जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर की अकादमिक गतिविधियों से 1978 से अभिन्न रूप से सम्बद्ध पं. शिवचरनलाल जैन, मैनपुरी को गणिनी आर्यिका ज्ञानमती पुरस्कार - 2000 देने का निश्चय किया गया। इस पुरस्कार के अन्तर्गत रु. 1,00,000/- की नगद राशि, शाल, श्रीफल एवं प्रशस्ति प्रदान की जाती है। यह पुरस्कार निकट भविष्य में समारोह पूर्वक प्रदान किया जायेगा, जिसके स्थान एवं तिथि की घोषणा यथासमय की जायेगी। . कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्रकुमार जैन, अध्यक्ष 94 अर्हत् वचन, अक्टूबर 2000
SR No.526548
Book TitleArhat Vachan 2000 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size6 MB
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